Thursday, 28 November 2013

राष्ट्र निर्माण के लिये श्री नरेंद्र मोदी को अपना योगदान दे ?( भाग-५ )

             राष्ट्र निर्माण के लिये श्री नरेंद्र मोदी को अपना योगदान दे ?( भाग-५  )

श्री नरेंद्र मोदीजी कि यह सोच है कि समय आ गया है हमें नयी दिशा और नयी समीकरण  कि खोज करने कि जरूरत है। सर्वांगीण प्रगति का धेय कैसे साध्य होगा और सही अर्थो में अंत्योदय कैसे आएगा इसपर विचार करना होगा। पुरे विश्व में अपने नेताओ का महत्व बढ़ने मात्र से देश का विकास नहीं होगा। सामान्य जनता जब जीवन से निराश नहीं होगी , सबकी आवश्यकताए  पूरी होंगी , जब वे अपने बच्चो  के रोजगार के लिए निश्चिन्त होंगे , पानी , बिजली , शौचालय  सबको सुलभ होंगे , तभी हमारा विकास हुआ यह हम समझेंगे। जबतक विकास पिछड़े जिलो में ठोस रूप से आकार नहीं ले लेता , शहरो में १०-१५ प्रतिशत जुग्गी जोपड़िया कम नहीं होती है , तभी हम सही मार्ग पर चल पड़े है , यह कहा जा सकेगा। 

श्री नरेद्र मोदीजी कि यह सोच है कि जबतक   हिन्दू -मुसलमान, के भेद ख़त्म नहीं होंगे जो कांग्रेस एवं भारत कि छोटी - छोटी पार्टियो ने उत्पन्न कर रखी है,तथा किसानो से लेकर विद्यार्थियो  तक सभी कि आत्महत्याए बंद नहीं होगी तभी हम दावा  कर सकेंगे कि हम इंसानियत को समझते है। जब हम गरीबो के आंसू पोछेंगे , एक स्वस्थवर्धक  समाज  का का निर्माण करेंगे और ऊँची इमारते बनाने के लिये प्रकृति पर आक्रमण पूर्णतया बंद करेंगे , तभी अन्तोदय के मार्ग पर हमारा सफ़र प्रारभ होगा। 


श्री नरेंद्र मोदीजी कि यह सोच है कि अगर आतंकवाद व् नक्सलवाद को मिटाना है तो हमें प्रमाणिक न्याय ,भारत यानि भ्रस्टाचार मुक्त समाज , भारत यानि सिद्धांतो पर आधारित ,भारत  यानि युवको का स्फूर्ति स्थान , भारत यानि भाई- भतीजावाद का धिक्कार करने वाला समाज , भारत यानि आशावाद , जैसे मूल्यो पर खरा उतरना  होगा।
    

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