Saturday 8 August 2015

जातिवाद और राजनीति भाग ४ (आरक्षण )

chaitanya shree जातिवाद और राजनीति  भाग ४ (आरक्षण )
मित्रो मै आज आप लोगो के सामने आरक्षण पर अपना विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ , आरक्षण रुपी जड़ ही हिन्दू समाज को तोड़ रहा है , कांग्रेस की यह नीति रही है जब तक हिन्दू समाज जातिगत रूप से बटा  रहेगा उनकी नीति सफल रहेगी ,आप को इसके गूढ़ रहस्य को समझना होगा ,मेरा मानना है कि "पिछड़ों के प्रति  समाज की संवेदना  को जगाने के बदले उनके प्रति ईर्ष्या ,द्वेष और सामाजिक विभेद की भावना को जन्म देता है आरक्षण । "
   मेरा मानना  है की अगर आरक्षण विशेष परिस्थिति में दिया जाये तो ज्यादा अच्छा होता , समाज में जो परिवार सामाजिक ,शैक्षिक , और आर्थिक दृष्टि से बुरी तरह पिछड़े है उन्हें आरक्षण देना चाहिए , उन्हें अन्य लोगो की तरह समकक्ष खड़ा करना चाहिए। समाज में  जिनको इनका लाभ मिल चूका है और उनका विकास हो चुका  है उन्हें आरक्षण  दुसरो के लिए छोड़ देना चाहिए जो इसका लाभ नहीं उठा पाये है , इस तरह से  धीरे - धीरे हमारे  समाज का  सम्पूर्ण विकास  हो सकता है , वर्त्तमान परिस्थति में जो इसका लाभ उठा चुके है वही दुबारा उठाते है जिससे जिनको लाभ उठाना चाहिए वो नहीं उठा पाते। मै ये देखकर  दुखी हो जाता हूँ ,जब यह देखता हूँ की हमारे हिन्दू समाज में अनेक जातियों में "पिछड़ेपन " के नाम पर अपने लिए आरक्षण निर्धारित करने की होड़ मची है। मै आदरणीय प्रधानमंत्रीजी से आग्रह करूंगा की जाती का विचार छोड़कर आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर हिन्दू , मुस्लिम, ईसाई  , सभी के पिछड़ेपन को  आधार बनाकर  आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।

समाज के अत्यंत पिछड़े हुए और सामाजिक दृष्टि से दलित जनो के लिए आरक्षण की नीति का मै समर्थक हूँ , संविधान निर्माताओ ने स्पष्ट किया था की " समाज के अन्य वर्गों के सामान  स्तर पर उन्हें लाकर  उनके प्रतिसत  में धीरे -धीरे कमी लाना स्वस्थ समाज की रचना की जा सकती है " इसके  पीछे सदियों से पीड़ित बंधुओ के प्रति सहज न्याय भावना ही प्रमुख था। परन्तु आज तो इस भावना के  राजनीतिक लाभ -हानि का ,सौदेबाजी का विषय बन  गया है। राजनैतिक नेता निहित दलगत स्वार्थो को दृष्टिगत कर लगातार भड़काऊ बयान दे देकर आग में घी डालने का काम ही कर रहे है। हमें इससे बचना होगा।

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