राष्ट्र निर्माण के लिये श्री नरेंद्र मोदी को अपना वोट देकर महत्वपूर्ण योगदान दे ? (भाग 4 )
श्री नरेंद्र मोदीजी कि यह सोच है कि राजनीती में ही अर्थनीति कि सोच होती है। यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आज़ादी के बाद अपने ही लोगो ने खास कर कांग्रेसी नेताओ ने अपने देश कि महत्ता को कम करने का प्रयास किया है। अगर हमलोग परिवर्तन कि हवाओ पर ध्यान दे तो एक नयी दिशा हमलोगो को निशित तौर पर मिलेगी। उस दिशा के मिलते ही आर्थिक , राजनितिक , सामाजिक , धार्मिक ,शैक्षणिक ऐसे सभी क्षेत्रो में परिवर्तन होगा। सफ़र के प्रारम्भ होते ही ८ - १० वर्षो में सम्पूर्ण समाज का कायापलट हो सकेगा।
श्री नरेंद्र मोदीजी कि यह सोच है कि भारत अपने स्वयं कि और दुनिया कि किस्मत आगामी अनेक शताब्दियों के लिए बदल सकता है।सम्पूर्ण भारतीये उपमहादीप कि अर्थव्यवस्ता को नियंत्रित करनेवाले पाटलिपुत्र (आज का पटना) और दुनिया को अर्थशास्त्र कि शिक्षा देनेवाले महान अर्थशास्त्री चाणक्य कि विरासत हमारे पास है। मेहनत करने कि हमारी क्षमता का लोहा सारी दुनिया मानती है। हमारे पूर्वजो ने हमेशा इंसानियत कि सीख दी है।वेदो में भी प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने के महत्व को प्रतिपादित किया जायेगा। नयी दिशा कि खोज करते समय सभी मुद्दो को प्राधान्य देते हुए उन्हें प्रत्यक्ष रूप से आचारण में लाना होगा। सर्वसमावेशक विकास कि कृतिशील भावना का जब उदय होगा तभी सर्वांगीण प्रगति का स्वप्न साकार होगा। यह स्वप्न दलगत राजनीती से ऊपर होना आवश्यक है। सभी दलो द्वारा सर्वमान्य कार्यकर्म स्वीकार किया जाना चाहिये। चुनाव में सत्ता परिवर्तन होने पर भी हमारी दिशा नहीं बदलनी चाहिये इस बात का आशवासन जनता द्वारा सभी दलो से लिया जाना चाहिये।
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