Friday, 16 August 2013

क्या तुष्टिकरण की राजनीती से हमारा देश बिखर रहा है?

क्या  तुष्टिकरण की राजनीती से   हमारा  देश  बिखर रहा है? 
                    शायद इसका उत्तर लोगो में हां ही होगा। सरकार की तुष्टिकरण की नीतियों के चलते अल्पसंख्यो का झुकाव कांग्रेस की तरफ ही रहा , जबकि हिन्दू राजनितिक तौर पर बिखरा हुआ ही रहा।  इसी कारन से देश की सत्ता पर ऐसे लोग और दल काबिज़ हो जाते है जिन्हें हिंदुत्व , राष्ट्रवाद , राष्ट्रीयता और अपने देश की गौरवशाली इतिहास और संस्कृति का ज्ञान ही नहीं होता।  केंद्र की कांग्रेस सरकार ने भारत विरोधी तत्वों को खुद इस देश में पनाह दी। भारत में ३ करोड़ बांग्लादेसी घुसपैठिये देश की सुरक्षा के लिये खतरा बन चुके है।  उन्होंने सरकारी सहयोग से अपनी संपतिया बना ली है। हिन्दुओ के धर्मस्थलो और शक्तिपीठों का सरकारीकारन किया जा चूका है , लेकिन दूसरो के धर्म स्थलों का कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है , बल्कि हिन्दुओ के धर्मस्थलो से जो पैसा आता है वो पैसा दूसरो के धर्मस्थलो को स्थापित करने और उनका वितारिकरण करने में किया जाता है।  
                       कुछ सवाल है जिनका उत्तर  हमें ढूदना होगा। 
१ )अगर गरीबी से लड़ना चाहते है तो अल्पसंख्यक धर्म सरकार के आड़े  क्यों आता है ?
२ )क्या समुदाय विशेष के तुष्टिकरण का प्रयास कांग सरकार कर रही है  ?
३ ) क्या सरकार को सबकी भलाई के लिये पैसा खर्च करना चाहिये या किसी एक समुदाय विशेष के उत्थान के लिये ?
४ )आखिर ९० मुस्लिम बहुल जिले चिन्हित कर उनमे मुस्लिमो की तरक्की के ही विशेष प्रयास क्यों किये जा रहे है ?
५ )सरकार केवल अल्प्शंख्यको के उत्थान के लिये कटिबद्ध है , बहुशंख्यको के उत्थान के लिये क्यों नहीं ?
६ )आप अंग्रेजो की तरह " बाटों  और राज करो " के सिद्धांत पर क्यों चलना चाहते है ?

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