नक्सलवाद की समस्या का समाधान है , परन्तु राजनितिक इक्षा शक्ति की कमी : 
           हमारे सामने आतंकवादी  समस्या के अतिरिक्त नक्सलवाद की समस्या एक सबसे बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी  है। इसका समाधान है परन्तु राजनितिक इक्षा शक्ति हमारे पास नहीं है। ये हमारे समाज के ही लोग है ,जिन्हें हमलोगों को मुख्या धरा में जोड़ना अति आवश्यक है। झारखण्ड ,बिहार' आँध्रप्रदेश  ,छत्तीसगढ़  ,में फैले नक्सलवाद को बाहर से मदद नहीं मिलती , फिर भी यहाँ के युवक हिन्साचारी मार्ग अपनाते है।  आखिर क्यों ? इसका जवाब राजनितिक दलों को ढूँढना होगा। जबतक हम समाज में व्याप्त विषमता को हंसकर टालते रहेंगे तबतक हमें उसका मूल्य चुकाना ही पड़ेगा। जबतक हम आर्थिक समृधि ,समाजिक न्याय , जिम्मेदार राजनीती , समाज के सभी घटकों को सम्मान तथा आशावादी वातावरण नहीं निर्मित करेंगे तबतक  नक्सली समस्या का समाधान नहीं कर सकते।  
                                                         इस समस्या का निराकरण के लिये पिछड़े जिलो के विकास पर जोड़ दिया जाना चाहिए । विशेषकर  खेती ,लघुउद्योग तथा फल से बननेवाले  विविध खाद्य पदार्थ के उत्पादन को बढाया जाना चाहिये। इससे अनेक बेरोजगारों को उपजीविका का साधन मिलेगा। नौकरी  -व्यवसाय  होने से इनका सम्मान बढेगा , जिससे ये मुख्या धरा से जुडेगे।  इसी दौरान नक्सली नेताओ से बात चीत शुरू की जा सकती है , उनकी न्यायोचित मांगो को स्वीकार किया जा सकता है। संछेप में मै  यह कह सकता हु की विकास ,न्याय ,अस्मिता  व् अनुशासन इन सब मार्गो का विचारपूर्वक उपयोग किया जा सकता है।  
No comments:
Post a Comment