समय की आवश्यकता - जम्मू कश्मीर के लिये राष्ट्रिय सहमती जरूरी  
मुस्लिम कश्मीरी विद्वान यह अच्छी तरह से जानते है की वे हिन्दू पूर्वज की संताने है और भारतीय संस्कृति का अभिन्न भाग कश्मीरियत हिन्दू और मुसलमानों की सांझी विरासत है।
उल्लेख्नियाए है की जम्मू - कश्मीर के कुल २२ जिलो में केवल कश्मीर घाटी (मात्र १४ प्रतिसत चेत्रफल ) के १० जिलो में से मात्र ५ जिलो (श्रीनगर,बारामूला, पुलवामा, अनानात्नाग , शोपिया ,) में ही अलगाववादी का प्रभाव है , शेस १७ जिलो में राष्ट्र भक्तो का प्रबल बहुमत है।
समय की आवश्यकता है की अलगाववादियों पर शख्त कार्यवाही हो ताकि कश्मीर घाटी में सहमी हुई राष्ट्रवादी शक्तियों को बल मिले। यदि भारत की सरकार अब भी नहीं चेती और देश की राष्ट्रवादी शक्तियों ने संगठित होकर अलगाववादी मनोवृति और तुस्टीकरण की राजनीती का प्रतिकार न किया तो देश की अखंडता पर मडरा रहा यह संकट और भी गहरा जायेगा।
मुस्लिम कश्मीरी विद्वान यह अच्छी तरह से जानते है की वे हिन्दू पूर्वज की संताने है और भारतीय संस्कृति का अभिन्न भाग कश्मीरियत हिन्दू और मुसलमानों की सांझी विरासत है।
उल्लेख्नियाए है की जम्मू - कश्मीर के कुल २२ जिलो में केवल कश्मीर घाटी (मात्र १४ प्रतिसत चेत्रफल ) के १० जिलो में से मात्र ५ जिलो (श्रीनगर,बारामूला, पुलवामा, अनानात्नाग , शोपिया ,) में ही अलगाववादी का प्रभाव है , शेस १७ जिलो में राष्ट्र भक्तो का प्रबल बहुमत है।
समय की आवश्यकता है की अलगाववादियों पर शख्त कार्यवाही हो ताकि कश्मीर घाटी में सहमी हुई राष्ट्रवादी शक्तियों को बल मिले। यदि भारत की सरकार अब भी नहीं चेती और देश की राष्ट्रवादी शक्तियों ने संगठित होकर अलगाववादी मनोवृति और तुस्टीकरण की राजनीती का प्रतिकार न किया तो देश की अखंडता पर मडरा रहा यह संकट और भी गहरा जायेगा।
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