प्रधान मंत्री नरेंद्र ने १५ अगस्त, २०१९ को लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए जनसँख्या नियंत्रण की बात की थी ,उन्होंने कहा था की जो छोटा परिवार रख रहे है वह भी एक प्रकार से देश भक्ति कर रहे है ,प्रधानमंत्री जी ने कहा था परिवारों को की आप दो बच्चों तक ही सीमित रहिये , परन्तु लोगो ने एक कान से सुना और दूसरे कान से निकाल दिया परन्तु आप को ये समझाना होगा इसकी जरूरत क्यों पड़ रही है ?
मित्रो १९७६ में संविधान के ४२ वे संसोधन के तहत सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची में जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन को जोड़ा गया था जो (हम दो हमारे दो ) के रूप में पुरे भारत में प्रचार माद्यम से भारत में फैलाया गया था। जिसके तहत केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकार को जनसँख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है ,इस हिसाब से जो राज्य सरकारे जनसँख्या नियंत्रण पर कानून बनाने का मन बना रही है वे संवैधानिक दायरे में रह कर ही कार्य कर रही है।
मित्रो आप को जान कर आश्चर्य होगा की स्वतंत्रता के बाद से अब तक जनसँख्या नियंत्रण पर विभिन्न दलों के सांसद ३५ बिल पेश कर चुके है जीने १५ बिल कांग्रेस सांसदों की ओर से पेश किए गए है और मुझे ख़ुशी है की कई राजनितिक दलो के नेताओ ने इस पर कानून बनाने की सहमति जाहिर की है और अपनी आवाज मुखर की है।
मित्रो मै यह नहीं समझ पा रहा हूँ की कुछ विपक्षी नेता इसके विरोध में खड़े क्यों है ? क्या उनका देश को आर्थिक रूप देश को पीछे धकेलने की मंशा तो नहीं है ? मै असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिश्वा शर्मा जी को धन्यवाद् देता हूँ की उन्होंने इस विषय पर अपने राज्य में पहल की और मुसलमानो से परिवार नियोजन अपनाने का अनुरोध भी किया। मित्रो यह सत्य है की स्वतंत्रता के बाद से मुस्लिमो की जनसँख्या वृद्धि २९. ३ हो गयी है और हिन्दुओ की १०. ९ प्रतिसत , से वृद्धि हो रही है। जो देश की आर्थिक चुनौतिओं को दीमक की तरह चाट रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी ने जनसँख्या नियंत्रण पर अपने प्रदेश की जनता से सुझाव मांगे है जो अति सराहनीय है जिसे २०२२ में लागू किये जाने की आशा है जो की एक सराहनीय पहल है।
माननीय प्रधान मंत्री जी से आग्रह होगा की जनसंख्या नियंत्रण पर उचित एवं कठोरतम कानून बना कर सरकार की आर्थिक बोझ को कम करने की कोशिश करेंगे जो देश की जरूरत है।
आपका
चैतन्य श्री