Wednesday 24 February 2021

क्या झारखण्ड में हेमंत के आदिवासियों के हिंदू ना होने वाले बयान में कृष्टयन मिशनरी का हाथ तो नहीं ?क्या सरना समाज को खत्म करने की साज़िश तो नहीं ?

chaitanya shree क्या झारखण्ड में  हेमंत  के आदिवासियों के हिंदू ना होने वाले बयान में कृष्टयन  मिशनरी का हाथ तो नहीं ?क्या सरना समाज को खत्म  करने की साज़िश तो नहीं ?   
मित्रो भारत वर्ष से न जाने कितनी विचार तरंगे निकली जो शांति और आशीर्वाद के रूप में अविरल गंगा की धारा  की तरह बहती रही है , संसार में  केवल हिन्दू जाती ही है जिसने सैनिक -विजय प्राप्ति का पथ नहीं अपनया और अपने विचारो को किसी पर नहीं थोपा जो नदियों की अविरल धारा  की तरह सदैव चलता रहा है सरना समाज भी इसी तरह चलता रहेगा ,हिन्दू सनातन की नीव भी इसी समाज ने रखीं  जहाँ आज भी प्रकृति पूजा को प्रमुख माना जाता है जो आज प्रकृति को बचाने में अपना प्रमुख योगदान दे रहे है। सरना समाज का  मातृ भूमि पर इतना  महान  ऋण है जिसे हम कभी नहीं चूका सकते।  झारखंड के सीएम को याद करना चाहिए कि माता शबरी हो या राजस्थान में राणा पूंजा भील जिन्होंने मुगलों से लड़ने के लिए महाराणा प्रताप का समर्थन किया। झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा ने तो ना सिर्फ रामायण-महाभारत का अभ्यास किया बल्कि अंग्रेजों व ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के षडयंत्रों का भी डटकर विरोध किया। धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए देश में वनवासी समाज के ऐसे अनगिनत गौरवपूर्ण संघर्ष इतिहास में दर्ज है। मै माननीय प्रधान मंत्री जी से आग्रह करता हूँ की संयुक्त संसद का अधिवेसन बुला कर एक छतरी के नीचे हिन्दू सनातन के सभी पंथो को (सिख ,बौद्ध ,जैन धर्मो को ) हिंदू का दर्जा दिया जाय जिससे पुरे विश्व में सभी पंथो का समग्र विकास हो.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी अपने छुद्र राजनीतिक लाभ के लिए अदिवासी समाज को बांटने या उनकी श्रद्धा पर आघात करने से बाज आएं।


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