Wednesday, 13 July 2022

(जनसंख्या नियंत्रण कानून) सत्य को प्रमाण की क्या आवश्यकता है

chaitanya shreechaitanya shree सत्य को प्रमाण की क्या आवश्कता है ? (जनसंख्या नियंत्रण कानून)

प्रधान मंत्री नरेंद्र ने १५ अगस्त, २०१९  को लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए जनसँख्या नियंत्रण की बात की थी ,उन्होंने कहा था की जो छोटा परिवार रख रहे है वह भी एक प्रकार से देश भक्ति कर रहे है ,प्रधानमंत्री जी  ने कहा था परिवारों को की आप दो बच्चों तक ही सीमित रहिये , परन्तु  लोगो ने  एक कान से सुना और दूसरे कान से निकाल दिया परन्तु आप को ये समझाना होगा  इसकी जरूरत क्यों पड़  रही है ?  
                     मित्रो १९७६ में संविधान के ४२ वे संसोधन के तहत सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची में जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन को जोड़ा गया था जो (हम दो हमारे दो ) के रूप में पुरे भारत में प्रचार माद्यम से  भारत में फैलाया गया था। जिसके तहत केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकार को जनसँख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है ,इस हिसाब से जो राज्य सरकारे जनसँख्या नियंत्रण पर कानून बनाने का मन बना रही है वे संवैधानिक दायरे में रह कर ही कार्य कर रही है।  

                     मित्रो आप को जान कर आश्चर्य होगा की स्वतंत्रता के बाद से अब तक जनसँख्या नियंत्रण पर विभिन्न दलों  के सांसद ३५ बिल पेश कर चुके है जीने १५ बिल कांग्रेस सांसदों  की ओर से पेश किए गए है और मुझे ख़ुशी है की कई राजनितिक दलो के नेताओ ने इस पर कानून बनाने की सहमति जाहिर की है और अपनी आवाज मुखर की है। 

                      मित्रो  मै  यह नहीं समझ पा रहा हूँ की कुछ विपक्षी नेता इसके विरोध में खड़े क्यों है ? क्या उनका  देश को आर्थिक रूप देश को पीछे धकेलने की मंशा तो नहीं है ? मै असम  के मुख्यमंत्री  श्री हिमंत बिश्वा शर्मा जी को धन्यवाद् देता हूँ की उन्होंने इस विषय पर अपने राज्य में पहल की  और मुसलमानो से परिवार नियोजन अपनाने का अनुरोध भी किया।  मित्रो यह सत्य है की स्वतंत्रता के बाद से मुस्लिमो की जनसँख्या वृद्धि २९. ३  हो गयी है और हिन्दुओ की १०. ९  प्रतिसत , से वृद्धि हो रही है। जो देश की आर्थिक चुनौतिओं को दीमक की तरह चाट रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्य नाथ जी ने जनसँख्या नियंत्रण पर अपने प्रदेश की जनता से सुझाव मांगे है जो अति सराहनीय है जिसे २०२२ में लागू किये जाने की आशा है जो की एक सराहनीय पहल है। 

                    माननीय  प्रधान मंत्री जी  से आग्रह होगा की जनसंख्या नियंत्रण पर उचित एवं कठोरतम कानून बना कर सरकार  की आर्थिक बोझ को कम करने की कोशिश करेंगे जो देश की जरूरत है। 
                                                                                                              आपका  
                                                                                                             चैतन्य श्री

Monday, 11 July 2022

जनसंख्या नियंत्रण कानून का इस्लामिक विरोध

chaitanya shreechaitanya shree मित्रो हमें पहले इसके लिए  इस्लाम के शासन पद्धत्ति को समझना होगा , इस्लाम भूछेत्रीय नातो को नहीं मानता है , इसके रिश्ते -नाते सामाजिक और मजहबी होते है ,अतः ये दैशिक सीमाओं को  नहीं मानते (pan-islamisim) का यही आधार है ,इसी से प्रेरित हिन्दुस्तान का हर मुसलमान कहता है की वह मुसलमान पहले है हिन्दुस्तानी बाद में।

टीवी चैनेलो में इस्लामिक स्कॉलर व् बुद्धिजीवीओ  का विरोध को समझने के लिए हमें मुस्लिम संप्रदाय की मूलभूत राजनितिक प्रेरणाओं को समझना जरूरी है, जैसे मुस्लिम कानून के अनुस्वार दुनिया दो भागो में बटी है ,एक दारुल इस्लाम (इस्लाम का आवास )और दारुल हर्ब (संघर्ष का देश ).इस्लामिक कानून के अनुस्वार भारत हिन्दुओ और मुसलमानो की साझी मातृभूमि नहीं हो सकती ,यह मुसलमानो की जमीन हो सकती है ,पर बराबरी में रहते हिन्दुओ और मुसलमानो की जमीन नहीं हो सकती ,यह मुसलमानो की जमीन भी तभी हो सकती है जब इस पर मुसलमानो का राज हो। जिस क्षण इस भूमि पर किसी गैर -मुस्लिम का अधिकार हो जाता है यह मुसलमानो की जमीन नहीं रहती ,दारुल इस्लाम के स्थान पर दारुल हर्ब हो जाता है। जब तक कांग्रेस की शासन रही एक मुस्लिम राज था ,क्योकि कांग्रेस का शीर्ष नेत्रित्व इस्लाम को ही मानने वाले थे लेकिन नरेंद्र मोदी के आने से ये देश दारुल हर्ब हो गया जो इस्लाम के मानने वालो नागवारा लग रहा है ,जम्मू कश्मीर की इस्लामिक लड़ाई भी इसी तर्ज़ पर है। हामिद अंसारी ने कोई नई बात नहीं कही उन्होंने इस्लाम धर्म के आधार पर ही अपनी बातो को कहा था। मित्रो जब अंग्रेज भारत पर कब्ज़ा किया था तब भी यही सवाल पैदा हुआ था की भारत दारुल हर्ब है या दारुल इस्लाम। इस विषय पर भारत में ५० वर्षो तक चर्चा हुई की भारत दारुल हर्ब है की दारुल इस्लाम। जिस कारन कई लोग हिजरत कर अफगानिस्तान की ओर कूच कर गए।मित्रो आज की तारिख में इस्लाम के अनुस्वार नरेंद्र मोदी का शासन काल एक दारुल हर्ब है जिसे मुस्लिम बौद्धिक जिहाद के रूप में लड़ रहे है और कश्मीर में हथियारों से।

इस्लामिक सिद्धांतो के अनुस्वार मुसलमान जेहाद केवल छेड़ ही नहीं सकते बल्कि जेहाद की सफलता के लिए किसी विदेशी मुस्लिम शक्ति को सहायता के लिए बुला भी सकते है और इसी प्रकार यदि भारत के विरुद्ध कोई विदेशी मुस्लिम शक्ति ही जेहाद छेड़ना चाहती है ,तो मुसलमान उसके प्रयास की सफलता के लिए सहायता भी कर सकते है।

मित्रो आप को जान कर आश्चर्य होगा की एक वक्त जिन्नाह ने गांधीजी को महात्मा और ईशु मशीह से तुलना किया था तब उसका पुर जोर विरोध हुआ था लेकिन बाद में जिन्नाह ने अपनी बात को पलट कर कहा था "गाँधी का चरित्र कितना भी निर्मल हो , मजहबी दृष्टी से वे मुझे किसी भी मुसलमान से ,चाहे वह चरित्रहीन ही क्यों न हो ,निकृष्ट ही दिखेंगे।

मित्रो विचारणीय प्रश्न यह की  मुस्लिम समुदाय कैसे इतना शक्ति शाली बन जाता है की वह अपने नेताओ पर इतना नियंत्रण रखने में सक्षम है ?

इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून का इस्लाम विरोध करता है उनका सबसे बड़ा उद्देश्य जनसंख्या बढ़ाना है यह एक इस्लामिक जनसंख्या जिहाद है। जिसकी शुरुआती प्रयास असम और बंगाल मे  मोहम्मद अली जिन्ना ने किया था अगर उनकी जनसंख्या बढ़ जाती है तो राजनीतिक रूप से सामाजिक रूप से धार्मिक रुप से यह मजबूत होते हैं तो इनका काम इनका मंतव्य उनका विचार ही सरकार पर थोपा जाएगा और उसको क्रियान्वित किया जाएगा जो कांग्रेस पिछली सरकारों में करती आई है। योगी जी ने बातें छेड़ी है  तो दूर तलक तो जाएगी  ही और यह राष्ट्रीय मुद्दा बनना जरूरी भी है जनसंख्या नियंत्रण कानून अगर ना बने तो हिंदुस्तान में भुखमरी आने में कोई देरी नहीं होगी। लोगों को देश मे अच्छा काम अच्छा खाना अच्छा शहर अच्छी सफाई  चाहिए तो  जनसंख्या नियंत्रण कानून बहुत ही जरूरी है, जिसका भारत के सभी नागरिकों को समर्थन करना चाहिए






Saturday, 9 July 2022

भारत सरकार धर्मांतरण के खिलाफ कठोर कानून बनाएं

chaitanya सरकार धर्मान्तरण के खिलाफ कठोर कानून बनाए
chaitanya shree
आदरणीय मोहन भागवतजी ने जो कहा था उसमे कोई गलती नहीं थी ,हिन्दुस्तान के नाम का मतलब ही यही है ,जहाँ हिन्दुओ का निवास होता हो या रहते है। यहाँ जितने धर्म को माननेवाले है उन सभी के पूर्वजो का इतिहास हिन्दू सभ्यता से रहा है , हमारे हिन्दू भाई जो इस्लाम धर्म को तलवार के नोक पर अपनाये उनकी पीढ़ी हिंदुत्व की ही थी इसलिए हिंदुस्तान की आत्मा को अगर हिंदुत्व कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आदरणीय मोहन भागवतजी की बात तर्कसंगतहै।
मित्रो आपको जान कर आश्चर्य होगा भारत तथा नेपाल के अतिरिक्त विश्व के सभी देश धर्म पर आधारित है। केवल इन दो देशो के संविधान में "सेक्युलर" शब्द जोड़ा गया है अन्य किसी भी देश के संविधान में "सेक्युलर " शब्द नहीं है। अमेरिका "सेकुलरिज्म ह्यूमन राइट "के लिए सभी देशो में आदर्श माना जाता है ,वहाँ राष्ट्रपती को सपथ लेनी होती है तो सर्वप्रथम चर्च जाना होता है तथा वहाँ के पादरी उन्हें शपत दिलाते है और जब संसद का अधिवेसन आरम्भ होता है तो बाइबिल का पाठ होता है , जहाँ तक मुझे पता है जितने भी यूरोपीय देश है वहां भी बाइबिल का ही पाठ होता है। जापान के महाराज तथा सम्राट को बौद्ध धर्म का रक्षक घोषित किया गया है। इंग्लैंड में प्रोटेस्टेंट ईसाई बने बिना वहाँ कोई भी प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। प्रत्येक देश में ऐसा कुछ न कुछ होता है
उत्तरपाड़ा के महर्षि अरविन्द के प्रसिद्ध भाषण में उन्होंने कहा था "हिंदुत्व तथा राष्ट्रयत्व अभिन्न है ,भारत का राष्ट्रयत्व केवल हिंदुत्व है , और कुछ नहीं। "
आपको जान कर आश्चर्य होगा इसी हिन्दुस्तान में धर्मनिर्पेक्ष विचारधारा में हिन्दू ,ईसाई ,तथा मुसलमान सभी सामान है तब भी इस्लाम तथा ईसाई बहुल राज्यों में हिन्दू मार खा रहे है हिन्दू मूल निवासी है ,तब उनकी ऐसी दुर्दशा है।
हिदुस्तान का मूल तत्त्व अथवा मूल निवासी हिन्दू है तो हम सभी हिन्दुस्तानी है ,हिन्दुस्तानियों में सभी मुस्लिम क्रिस्चन इत्यादि का मूल तत्त्व हिन्दू है कही -न कही किसी न किसी तरह उन सभी के पूर्वज हिन्दू ही रहे है अतः यह हिन्दुस्तान है। यह देश तथा तथा संस्कृति हिन्दुओ की है अतः यह हिन्दू राष्ट्र है ,हिन्दू राष्ट्र का मतलब यहाँ राम राज्य से है जहा किसी भी धर्म और संप्रदाय के मानने वालो को सामान दृष्टिकोण और और सौहार्द पूर्वक रहने के लिए है।
मेरा मानना है की अगर सरकार धर्मान्तरण के खिलाफ कठोर कानून बनाती है तो सारी समस्याओ का जड़ समाप्त हो जायेगा ,विपक्ष को भी अपना द्रिस्टीकोण स्पष्ट करना चाहिए,जनता भी विपक्ष का रुख जानना चाहती है। मै मानता हूँ ,की सरकार धर्मान्तरण के खिलाफ कठोर कानून बनाए और हिन्दुस्तान की आत्मा को जख्मी होने से बचाए।
आपका चैतन्य श्री

Uniform Civil code in India

chaitanya shreechaitanya shree कब तक सामान नागरिकता संहिता का विरोध कर असहिष्णुता का कलंक भारत का नागरिक सहता रहेगा ?
मित्रो सबसे पहले आपको ये समझना होगा की अनुच्छेद ४४ है क्या ? अनुच्छेद ४४ में कहा गया है "भारत समस्त राज्य क्षेत्र में नागरीको के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा। " डॉ भीम राव अम्बेडकर भी इसके कड़े समर्थक थे।
मित्रो कांग्रेस ने वोट की राजनीती तथा अपने घटते जनाधार को देखते हुए उन्होंने एक वर्ग के लिए तुष्टिकरण की निति अपनाई तथा सामान नागरिक संहिता के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया ,जिसका परिणाम यह हुआ की देश के एक वर्ग में भारतीय संविधान के प्रति श्रद्धा व् आस्था काम हो गयी ,और उनमे विशेष सुविधाए प्राप्त करने की और लालसा बढ़ गयी। यह देश की विडम्बना है की जिस व्यक्ति ने संविधान की रखवाली की और निर्माण किया ११ अक्टूबर १९५१ को नेहरू मंत्री मंडल से त्याग पत्र दे दिया था। डॉ ाबमेडकर ने त्याग पत्र देते वक़्त अपने वक्तव्य में कहा था " उनके कठिन प्रयासों के बावजूद भी वंचित वर्ग पीड़ित हो रहा है और इसके विपरीत मुसलमानो की देखभाल पर जरूरत से ज्यादा ही ध्यान दिया जा रहा है , और प्रधान मंत्री (पंडित नेहरू )अपना सारा समय और ध्यान मुसलमानो की सुरक्षा में ही व्यतीत करते है। उपरोक्त परिस्थिति में उनके मंत्रिमंडल में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। "
मित्रो मजे की बात तो यह है की नेहरू ,इंदिरा , के बाद भारत में जितने सेक्युलर दल हुए सभी ने अपना विधवा विलाप शुरू कर दिया सिर्फ- सिर्फ तुष्टि करन के लिए। कांग्रेस ने तो मुस्लिम वोट के खातिर भारतीय संविधान की मूल स्वतंत्रता तथा समानता की भावना से विश्वासघात तो किया ही वही आंबेडकर के नाम से वोट बटोरने वाले तथा लोहिया का गीत गाने वाले पार्टिया भी स्वार्थवश अपने पथ से विचलित हो गई। वे भी आंबेडकर व् लोहिया मार्ग से भटक गए।
इस विषय पर मुस्लिम समाज दो भागो में बटा  हुआ है , एक रूढ़िवादी समाज तथा आधुनिक पढ़ा लिखा समाज।
पहले मुस्लिम रूढ़ी वादी समाज की चर्चा करते है जिसका नेतृत्व मौलवी अब्दुल हमीद नोमानी का नाम आता है जिन्होंने कहा है यह सामान नागरिक संहिता अव्यवहारिक है तथा समस्त मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध है. मौलाना अब्दुल रहीम मुजादि ने कहा है की "मुसलमानो को अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ की रक्षा करनी है तो उन्हें अपने मामलो को देश की अदालतों में नहीं ले जाना चाहिए। जयपुर के मौलाना मजदी अदालतों के बहिष्कार की रट लगते फिर रहे है। दारुल उलूम ,देवबंद के मुफ्तियों के अनुस्वार महिलाओं की कमाई शरीयत की नज़र में हराम है ,और महिलाओं को पुरषो के साथ काम करना हराम है , दोस्तों मेरा मानना है की अगर यह समुदाय इस तरह की सोच रखेगा तो उन्हें शरीयत के उन कानूनों को भी मानना  चाहिए जिसमे चोरी ,डकैती ,क़त्ल , रेप इत्यादि का दण्ड मौत है या शरीर के आंगो को काट देना है। मित्रो हिन्दुस्तान का कानून सहिष्णु है जिसे मुस्लिम महिलाओं को ताकत मिलेगी और वो बढ़ चढ़ कर देश की तरक्की में भाग लेंगी इस पर देश को विचार करना होगा।
दूसरी तरफ अनेक मुस्लिम चिंतक व् विचारक न्याधीश ,अध्यापक तथा दूसरे विद्वान है, इनमे उल्लेखनीय है न्यायमूर्ति मुहम्मद करीम छागला ,न्यायमूर्ति म उ बेग ,ये लोग संविधान के अनुच्छेद ४४ को अतिशीघ्र लागू करना चाहते है। आरिफ मोह्हमद खान जैसे राष्ट्रवादी नेता जो राजीव गांधी के काल से ही शाहबानो मामले में सर्वोच्च न्यायलय के फैसले को सही ठहराया है तो इसे प्रोफ ताहिर महमूद ने सही मन है अल्पसंख्यक मामलो की मंत्री नज़्म हेपतुल्लाह ने "सबका साथ सबका हाथ "कहते हुए मुस्लमान महिलाओं की इज़्ज़त तथा सम्मान की बात कही है पत्रकार शेखर गुप्ता ने इसके विरोध को निर्रथक कहा है।
मित्रो अगर मैं निष्पक्ष रूप से इसे देख्ता हूँ तो ऐसा लगता है की संविधान का प्रमुख अनुच्छेद ४४ आखिर कब तक मरणासन्न इस्थिति में पड़ा रहेगा, जिसका जवाब हम सब को मिलकर ढूंढना होगा।
आपका चैतन्य श्री

Sunday, 23 January 2022

उत्तर प्रदेश की फिक्र कर नादान,सपा से कयामत आने वाली है।

उत्तर प्रदेश की फिक्र कर नादां , सपा से क़यामत आने वाली है

chaitanya 
                               "  उत्तर प्रदेश   की फिक्र कर नादां , सपा से क़यामत आने वाली है
                                    तेरी बर्बादियो  के चर्चे है आसमानों में


                                 न संभाले  तो फ़ना हो जाओगे उत्तर प्रदेश  वालो
                                जातियों में बटकर तुम्हारी दासता तक न मिलेगी दास्तानों में


योगीजी सुशासन , उन्नती एवं    शांतिपूर्ण अस्तित्व के  पक्षधर है . लेकिन हमें (सभी क्षेत्रो   में  ) एक निर्णायक युद्ध लड़ना पड़ेगा ,  , भविष्य हमें इसलिये स्मरण नहीं रखेगा की हमने कितने , मंदिर, चर्च , ,गुरुद्वारे , या मस्जिद , बनवाई , हमें इसलिये जाना जायेगा की हमने आने वाली नस्ल  को कितनी सुरक्षित उत्तरप्रदेश  सौप सके ,सुरक्षित उत्तरप्रदेश   एक बहुत बड़ी बात है , यथार्त के धरातल पर उतर कर उन सारी परीस्थितियो  का आकलन और निर्धारण करना होगा।इसलिए सोच समझ कर वोट दे जाती, संप्रदाय से उठ कर उत्तरप्रदेश   के नागरिको को घर से बहार निकलना होगा और आने वाली नस्ल को सुरक्षित उत्तरप्रदेश  सौपने के लिए श्री नरेद्र मोदीजी  एवं   योगीजी  के हाथो को मजबूत करना होगा। 

Saturday, 13 November 2021

गाँधी के आंदोलन से देश आज़ाद नहीं हुआ वीर सॉवरकर एवं नेताजी की कूटनीति एवं क्रांतिकारियों का बलिदान ने देश को आज़ादी दिलाई

chaitanya shree गाँधी के आंदोलन से  देश आज़ाद नहीं हुआ वीर सॉवरकर  एवं नेताजी की कूटनीति एवं क्रांतिकारियों  का बलिदान  ने  देश को आज़ादी दिलाई।  
 कंगना रौनात ने जो बाते  कही मै  उसका समर्थन करता हूँ , हिन्दुओ ने देश में मोदी सरकार के आने पर ही आज़ादी महसूस किया है , कुछ बाते है जो हिन्दुस्तान की जनता नहीं जानती है आपके सामने मै  देश की आज़ादी की कुछ घटनाओ का वर्णन मै  नीचे कर रहा हूँ। 
सन १९२६   की एक घटना है , चन्द्र शेखर आजाद अंग्रेजो से बचकर वैक्तिगत रूप से बापू से मिले  थे  और सिर्फ उन्हें इतना कहा था - बापू हमारे  दिलो में आपके लिये बड़ा सम्मान है , सारा राष्ट्र आपका सम्मान करता है ,कृपया आप हम पर  एक उपकार कर दे अपने वैक्तिगत संबोधनों में हमें आतंकवादी न कहा करे ,इससे हमें दुःख होता है .
बापू ने जवाब दिया -
" तुम्हारा  मार्ग हिंसा का है और हिंसा का अवलंबन लेने वाला हर व्यक्ति   मेरी नज़र में आतंकवादी है. ."
चन्द्रशेखर वापस आ गये.
जो बापू के अनुयाई  थे  वह नेहरु और बापू के प्रभाव में क्रांतिकारियों को तो हे दृष्टी से देखते थे , परन्तु जब ये अहिंसक किसी घटना के कारन ब्रिटिश  जुल्म के  कोपभाजन बनते थे,और पुलिस उन्हें मार -मारकर बेहाल कर देती थी, तो इस अत्याचार का क्रांतिकारियों पर बड़ा विपरीत असर पड़ता था .
 भगत सिंह   तब असेंबली के बहार चरखा लेकर नहीं गए थे, उन्होंने असेंबली के बहार कोई "वैष्णव जन तेने कहिये " की गुहार नहीं लगाई थी . वह किसी की हत्या भी नहीं करना चाहते थे , उनके हाथ में  बम  था , जिसकी गूँज उस दिन लाहोर से लन्दन  तक गूंजी थी . सारा जीवन लड़े 

 , पर शेरो की तरह रहे.
           मर कर भी न जायेगी , दिल से वफ़ा की उल्फत ,
           मेरी मिटटी से भी खुसबू -ए -वतन आयेगी .
  मेरा सवाल
 मेरा सवाल कांग्रेसी और गांधीवादियों से है , बापू समेत क्या किसी में भी यह हिम्मत नहीं  हुई की "लार्ड इरविन " को यह कह सकते की हम तब तक कोई  समझौता नहीं कर सकते जब तक इन क्रांतिकारियों को अंग्रेज  छोड़ नहीं देते ? क्या हो जाता अगर जेल के  बहार भूख हड़ताल का ढोंग करने वाले  ने जेल के अन्दर इस मुद्दे पर "भूख हड़ताल" की होती की पहले भगत सिंह और उनके साथियो को छोड़ो ,उन्होंने किसी की हत्या नहीं की है, केवल धमाका किया है और उन पर चलाये जा रहे मुकदमे अंग्रेज वापस ले ?
 अगर ऐसा होता तो भारत का इतिहास स्वर्णिम हो जाता ,भगत सिंह को फासी  के तख्ते पर झुलाने की आज्ञा  हो गयी और गाँधी इरविन पैक्ट भी उसी वर्ष हो गया .
   तीसरी घटना  देश की आज़ादी का? १९४७ की आज़ादी की एक बहुत ही दिलचस्प घटना है जिसका  लोगो को बहुत  कम जानकारी है ,द्वितीय विश्व युद्ध के वक़्त  अंग्रेज  भारतीयों को अपनी सेना में भर्ती कर रहे थे और युद्ध के लिए अपने देश भेज रहे थे जिसका समर्थन कूटनीतिक रूप से सावरकर ने समर्थन किया था ,उनका विश्वास था की हमारे देश वासी आधुनिक हथियारों से लैस अपनी ट्रेनिंग पूरी कर लेंगे जो बाद में अपने देश के लिए काम आएंगे , जब द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म  हुआ तो लाखो की तादाद में भारतीय सेना के लोग बेरोजगार हो गए वे वापस भारत आ गए जिससे उनके भड़कने व् निजी सेनाओ , जय हिन्द की सेना में भर्ती का डर  था जो अंग्रेजो के लिए खतरनाक साबित होने वाला था ,यही डर  देश को आज़ाद करने में  एक वरदान साबित हुआ। 

                                                                                                               आपका चैतन्य श्री 

Tuesday, 13 July 2021

सत्य को प्रमाण की क्या आवश्कता ? (जनसंख्या नियंत्रण कानून)

chaitanya shree सत्य को प्रमाण की क्या आवश्कता ? (जनसंख्या नियंत्रण कानून)

प्रधान मंत्री नरेंद्र ने १५ अगस्त, २०१९  को लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए जनसँख्या नियंत्रण की बात की थी ,उन्होंने कहा था की जो छोटा परिवार रख रहे है वह भी एक प्रकार से देश भक्ति कर रहे है ,प्रधानमंत्री जी  ने कहा था परिवारों को की आप दो बच्चों तक ही सीमित रहिये , परन्तु  लोगो ने  एक कान से सुना और दूसरे कान से निकाल दिया परन्तु आप को ये समझाना होगा  इसकी जरूरत क्यों पड़  रही है ?  
                     मित्रो १९७६ में संविधान के ४२ वे संसोधन के तहत सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची में जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन को जोड़ा गया था जो (हम दो हमारे दो ) के रूप में पुरे भारत में प्रचार माद्यम से  भारत में फैलाया गया था। जिसके तहत केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकार को जनसँख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है ,इस हिसाब से जो राज्य सरकारे जनसँख्या नियंत्रण पर कानून बनाने का मन बना रही है वे संवैधानिक दायरे में रह कर ही कार्य कर रही है।  

                     मित्रो आप को जान कर आश्चर्य होगा की स्वतंत्रता के बाद से अब तक जनसँख्या नियंत्रण पर विभिन्न दलों  के सांसद ३५ बिल पेश कर चुके है जीने १५ बिल कांग्रेस सांसदों  की ओर से पेश किए गए है और मुझे ख़ुशी है की कई राजनितिक दलों  के नेताओ ने इस पर कानून बनाने की सहमति जाहिर की है और अपनी आवाज मुखर की है। 

                      मित्रो  मै  यह नहीं समझ पा रहा हूँ की कुछ विपक्षी नेता इसके विरोध में खड़े क्यों है ? क्या उनका  देश को आर्थिक रूप देश को पीछे धकेलने की मंशा तो नहीं है ? मै असम  के मुख्यमंत्री  श्री हिमंत बिश्वा शर्मा जी को धन्यवाद् देता हूँ की उन्होंने इस विषय पर अपने राज्य में पहल की  और मुसलमानो से परिवार नियोजन अपनाने का अनुरोध भी किया।  मित्रो यह सत्य है की स्वतंत्रता के बाद से मुस्लिमो की जनसँख्या वृद्धि २९. ३  हो गयी है और हिन्दुओ की १०. ९  प्रतिसत , से वृद्धि हो रही है। जो देश की आर्थिक चुनौतिओं को दीमक की तरह चाट रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री   योगी आदित्य नाथ जी ने जनसँख्या नियंत्रण पर अपने प्रदेश की जनता से सुझाव मांगे है जो अति सराहनीय है जिसे २०२२ में लागू किये जाने की आशा है जो की एक सराहनीय पहल है। 

                    माननीय  प्रधान मंत्री जी  से आग्रह होगा की जनसंख्या नियंत्रण पर उचित एवं कठोरतम कानून बना कर सरकार  की आर्थिक बोझ को कम करने की कोशिश करेंगे जो देश की जरूरत है। 
                                                                                                              आपका  
                                                                                                             

चैतन्य श्री   

सरकार धर्मान्तरण के खिलाफ कठोर कानून बनाए, माननीय सरसंघचालक जी की बाते सही हिन्दुस्तानियो का DNA एक ही है।

chaitanya shree सरकार धर्मान्तरण के खिलाफ कठोर कानून बनाए, माननीय सरसंघचालक जी की बाते सही हिन्दुस्तानियो का DNA एक ही है।
chaitanya shree
आदरणीय मोहन भागवतजी ने जो कहा था उसमे कोई गलती नहीं थी ,हिन्दुस्तान के नाम का मतलब ही यही है ,जहाँ हिन्दुओ का निवास होता हो या रहते है। यहाँ जितने धर्म को माननेवाले है उन सभी के पूर्वजो का इतिहास हिन्दू सभ्यता से रहा है , हमारे हिन्दू भाई जो इस्लाम धर्म को तलवार के नोक पर अपनाये उनकी पीढ़ी हिंदुत्व की ही थी इसलिए हिंदुस्तान की आत्मा को अगर हिंदुत्व कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आदरणीय मोहन भागवतजी की बात तर्कसंगतहै।
मित्रो आपको जान कर आश्चर्य होगा भारत तथा नेपाल के अतिरिक्त विश्व के सभी देश धर्म पर आधारित है। केवल इन दो देशो के संविधान में "सेक्युलर" शब्द जोड़ा गया है अन्य किसी भी देश के संविधान में "सेक्युलर " शब्द नहीं है। अमेरिका "सेकुलरिज्म ह्यूमन राइट "के लिए सभी देशो में आदर्श माना जाता है ,वहाँ राष्ट्रपती को सपथ लेनी होती है तो सर्वप्रथम चर्च जाना होता है तथा वहाँ के पादरी उन्हें शपत दिलाते है और जब संसद का अधिवेसन आरम्भ होता है तो बाइबिल का पाठ होता है , जहाँ तक मुझे पता है जितने भी यूरोपीय देश है वहां भी बाइबिल का ही पाठ होता है। जापान के महाराज तथा सम्राट को बौद्ध धर्म का रक्षक घोषित किया गया है। इंग्लैंड में प्रोटेस्टेंट ईसाई बने बिना वहाँ कोई भी प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। प्रत्येक देश में ऐसा कुछ न कुछ होता है
उत्तरपाड़ा के महर्षि अरविन्द के प्रसिद्ध भाषण में उन्होंने कहा था "हिंदुत्व तथा राष्ट्रयत्व अभिन्न है ,भारत का राष्ट्रयत्व केवल हिंदुत्व है , और कुछ नहीं। "
आपको जान कर आश्चर्य होगा इसी हिन्दुस्तान में धर्मनिर्पेक्ष विचारधारा में हिन्दू ,ईसाई ,तथा मुसलमान सभी सामान है तब भी इस्लाम तथा ईसाई बहुल राज्यों में हिन्दू मार खा रहे है हिन्दू मूल निवासी है ,तब उनकी ऐसी दुर्दशा है।
हिदुस्तान का मूल तत्त्व अथवा मूल निवासी हिन्दू है तो हम सभी हिन्दुस्तानी है ,हिन्दुस्तानियों में सभी मुस्लिम क्रिस्चन इत्यादि का मूल तत्त्व हिन्दू है कही -न कही किसी न किसी तरह उन सभी के पूर्वज हिन्दू ही रहे है अतः यह हिन्दुस्तान है। यह देश तथा तथा संस्कृति हिन्दुओ की है अतः यह हिन्दू राष्ट्र है ,हिन्दू राष्ट्र का मतलब यहाँ राम राज्य से है जहा किसी भी धर्म और संप्रदाय के मानने वालो को सामान दृष्टिकोण और और सौहार्द पूर्वक रहने के लिए है।
मेरा मानना है की अगर सरकार धर्मान्तरण के खिलाफ कठोर कानून बनाती है तो सारी समस्याओ का जड़ समाप्त हो जायेगा ,विपक्ष को भी अपना द्रिस्टीकोण स्पष्ट करना चाहिए,जनता भी विपक्ष का रुख जानना चाहती है। मै मानता हूँ ,की सरकार धर्मान्तरण के खिलाफ कठोर कानून बनाए और हिन्दुस्तान की आत्मा को जख्मी होने से बचाए।
आपका चैतन्य श्री

Tuesday, 29 June 2021

मित्रो कुछ बाते जो सरकार को करना बाकी रह गया है जिसे सरकार को जल्द से जल्द क्रियान्वित करना जरूरी है जैसे

chaitanya shree  मित्रो कुछ बाते  जो सरकार  को करना बाकी  रह गया है  जिसे सरकार  को जल्द से जल्द  क्रियान्वित करना जरूरी है जैसे
  १ अंग्रेजी कानून समाप्त किया जाना चाहिए २ एक देश एक सिलेबस लागू किया जाना चाहिए। ३ एक देश एक शिक्षा बोर्ड होना चाहिए। ४ एक देश एक दंड संहिता लागू किया जाना चाहिए। ५ घुसपैठ एवं धर्मांतरण अपराध घोषित किया जाना चाहिए लोग इससे बच निकलते है। ६ एक देश एक नागरिक संहिता कानून लागू किया जाना चाहिए। ७ जनसंख्या विस्फोट के लिए अपराधी घोषित किया जाना चाहिए। ८ सिटीजन और ज्यूडिशियल चार्टर लागू किया जाना चाहिए।

Friday, 26 February 2021

महान क्रान्तिकारी,कवि,ओजस्वी वक्ता, प्रखर राष्ट्रवादी स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकरजी की पुण्यतिथि पर नमन.!

chaitanya shreeमहान क्रान्तिकारी,कवि,ओजस्वी वक्ता, प्रखर राष्ट्रवादी स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकरजी की पुण्यतिथि पर नमन.!

Wednesday, 24 February 2021

क्या झारखण्ड में हेमंत के आदिवासियों के हिंदू ना होने वाले बयान में कृष्टयन मिशनरी का हाथ तो नहीं ?क्या सरना समाज को खत्म करने की साज़िश तो नहीं ?

chaitanya shree क्या झारखण्ड में  हेमंत  के आदिवासियों के हिंदू ना होने वाले बयान में कृष्टयन  मिशनरी का हाथ तो नहीं ?क्या सरना समाज को खत्म  करने की साज़िश तो नहीं ?   
मित्रो भारत वर्ष से न जाने कितनी विचार तरंगे निकली जो शांति और आशीर्वाद के रूप में अविरल गंगा की धारा  की तरह बहती रही है , संसार में  केवल हिन्दू जाती ही है जिसने सैनिक -विजय प्राप्ति का पथ नहीं अपनया और अपने विचारो को किसी पर नहीं थोपा जो नदियों की अविरल धारा  की तरह सदैव चलता रहा है सरना समाज भी इसी तरह चलता रहेगा ,हिन्दू सनातन की नीव भी इसी समाज ने रखीं  जहाँ आज भी प्रकृति पूजा को प्रमुख माना जाता है जो आज प्रकृति को बचाने में अपना प्रमुख योगदान दे रहे है। सरना समाज का  मातृ भूमि पर इतना  महान  ऋण है जिसे हम कभी नहीं चूका सकते।  झारखंड के सीएम को याद करना चाहिए कि माता शबरी हो या राजस्थान में राणा पूंजा भील जिन्होंने मुगलों से लड़ने के लिए महाराणा प्रताप का समर्थन किया। झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा ने तो ना सिर्फ रामायण-महाभारत का अभ्यास किया बल्कि अंग्रेजों व ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के षडयंत्रों का भी डटकर विरोध किया। धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए देश में वनवासी समाज के ऐसे अनगिनत गौरवपूर्ण संघर्ष इतिहास में दर्ज है। मै माननीय प्रधान मंत्री जी से आग्रह करता हूँ की संयुक्त संसद का अधिवेसन बुला कर एक छतरी के नीचे हिन्दू सनातन के सभी पंथो को (सिख ,बौद्ध ,जैन धर्मो को ) हिंदू का दर्जा दिया जाय जिससे पुरे विश्व में सभी पंथो का समग्र विकास हो.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी अपने छुद्र राजनीतिक लाभ के लिए अदिवासी समाज को बांटने या उनकी श्रद्धा पर आघात करने से बाज आएं।