chaitanya shree"यह विचार मेरा निजी है।"
आर्थिक नीति में नीतिगत बदलावों की जरूरत है।
मित्रों में कोई अर्थशास्त्री नहीं हूं लेकिन मुझे जो समझ में आता है, उन विचारों को मैं आपके सामने रखना चाहता हूं, अर्थव्यवस्था तभी मजबूत होती है ,जब जनता वित्तीय रूप से मजबूत होती है ,इतिहास में पहली बार हो रहा है कि गरीब व मध्यम वर्ग के लोग अमीरों से ज्यादा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर दे रहे हैं ,अप्रत्यक्ष कर सरकार के खजाने मे corporate कर से ज्यादा जमा हो रहे हैं, मित्रों कर प्रणाली की जटिलता और उसमे होने वाले लगातार बदलाव ने छोटे व्यवसायियों का अस्तित्व बचाए रखना और कारोबार करना असंभव बना दिया है ,यह जरूरी है कि छोटे व्यवसायियों में विश्वास पैदा किया जाए कि भारतीय प्रणाली उन्हें बढ़ावा देती है ,और उन्हें सुनिश्चित करें कि उनका उन नियमों द्वारा उत्पीड़न नहीं होगा ।
दूसरी बात मित्रों यह अत्यंत आवश्यक है ,कि सरकार क्षेत्रवार नीति से आगे आए जिससे कि अंतरराष्ट्रीय निवेश का उन क्षेत्रों में स्वागत हो सके ,जिसमें भारत कमजोर है और उन क्षेत्रों को संरक्षित किया जाए जिससे भारत मजबूत हो सके ।मित्रों आपको जानकर आश्चर्य होगा दुनिया के वह देश जो शीर्ष अर्थव्यवस्था में शामिल थे ,लगातार अपने उद्योगों को बचाने के लिए उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर रोक लगा रही है ,जो मुक्त बाजार प्रणाली की वकालत करते थे ,और अब वापस अपने उद्योगों को बचाने के लिए बड़े स्तर पर वापस लौट रहे हैं, मित्रो हमारी सरकार को आर्थिक व सामाजिक दायित्व को निभाने के लिए सरकारी संस्थाओं के कल कारखाना में विदेशी पूंजी निवेश करा उसके बाजार को और विकसित करने की जरूरत है हमारी पब्लिक सेक्टर कंपनी राष्ट्र की है, इन्हें बचाने के लिए सरकार को सकारात्मक पहल करने की आवश्यकता है ,शुरू से ही सरकारों की अवधारणा बनी रही है कि सारा पब्लिक सेक्टर घाटे में है, और यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है, क्या सरकार इसके कारण ढूंढने की कोशिश करती है, या उसका दोहन करना ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है, इन विषयों पर हमें विचार करने की आवश्यकता है। उन्हें जानबूझकर व्यवस्थित तरीके से बर्बादी के मोड़ पर लाया जा रहा है, यह भी एक प्रश्न है इनको बचाने से हमें सभी प्रकार के आर्थिक मौसमों में अर्थव्यवस्था को बचाने और रोजगार के अवसर प्रदान करने में एक खुशहाल और श्रेष्ठ भारत को बढ़ाने में अभिन्न योगदान रहेगा ऐसा मेरा मानना है। नोट-पब्लिक सैक्टर का मुनाफा2017-18/159635लाख करोड़ थावही घटा उसकी तुलना मे 311,261करोड़ था।
आर्थिक नीति में नीतिगत बदलावों की जरूरत है।
मित्रों में कोई अर्थशास्त्री नहीं हूं लेकिन मुझे जो समझ में आता है, उन विचारों को मैं आपके सामने रखना चाहता हूं, अर्थव्यवस्था तभी मजबूत होती है ,जब जनता वित्तीय रूप से मजबूत होती है ,इतिहास में पहली बार हो रहा है कि गरीब व मध्यम वर्ग के लोग अमीरों से ज्यादा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर दे रहे हैं ,अप्रत्यक्ष कर सरकार के खजाने मे corporate कर से ज्यादा जमा हो रहे हैं, मित्रों कर प्रणाली की जटिलता और उसमे होने वाले लगातार बदलाव ने छोटे व्यवसायियों का अस्तित्व बचाए रखना और कारोबार करना असंभव बना दिया है ,यह जरूरी है कि छोटे व्यवसायियों में विश्वास पैदा किया जाए कि भारतीय प्रणाली उन्हें बढ़ावा देती है ,और उन्हें सुनिश्चित करें कि उनका उन नियमों द्वारा उत्पीड़न नहीं होगा ।
दूसरी बात मित्रों यह अत्यंत आवश्यक है ,कि सरकार क्षेत्रवार नीति से आगे आए जिससे कि अंतरराष्ट्रीय निवेश का उन क्षेत्रों में स्वागत हो सके ,जिसमें भारत कमजोर है और उन क्षेत्रों को संरक्षित किया जाए जिससे भारत मजबूत हो सके ।मित्रों आपको जानकर आश्चर्य होगा दुनिया के वह देश जो शीर्ष अर्थव्यवस्था में शामिल थे ,लगातार अपने उद्योगों को बचाने के लिए उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर रोक लगा रही है ,जो मुक्त बाजार प्रणाली की वकालत करते थे ,और अब वापस अपने उद्योगों को बचाने के लिए बड़े स्तर पर वापस लौट रहे हैं, मित्रो हमारी सरकार को आर्थिक व सामाजिक दायित्व को निभाने के लिए सरकारी संस्थाओं के कल कारखाना में विदेशी पूंजी निवेश करा उसके बाजार को और विकसित करने की जरूरत है हमारी पब्लिक सेक्टर कंपनी राष्ट्र की है, इन्हें बचाने के लिए सरकार को सकारात्मक पहल करने की आवश्यकता है ,शुरू से ही सरकारों की अवधारणा बनी रही है कि सारा पब्लिक सेक्टर घाटे में है, और यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है, क्या सरकार इसके कारण ढूंढने की कोशिश करती है, या उसका दोहन करना ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है, इन विषयों पर हमें विचार करने की आवश्यकता है। उन्हें जानबूझकर व्यवस्थित तरीके से बर्बादी के मोड़ पर लाया जा रहा है, यह भी एक प्रश्न है इनको बचाने से हमें सभी प्रकार के आर्थिक मौसमों में अर्थव्यवस्था को बचाने और रोजगार के अवसर प्रदान करने में एक खुशहाल और श्रेष्ठ भारत को बढ़ाने में अभिन्न योगदान रहेगा ऐसा मेरा मानना है। नोट-पब्लिक सैक्टर का मुनाफा2017-18/159635लाख करोड़ थावही घटा उसकी तुलना मे 311,261करोड़ था।

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