Tuesday, 6 February 2018

पाकिस्तान का सच

chaitanya shree
रावलपिंडी में सेना के प्रमुख कार्यालय में बैठा उसके सूत्रधारो पर प्रहार करने की जरूरत है।
१ )
पाकिस्तानी सेना , गुप्तचर विभाग और कुछ प्रतिष्टित विचारक आतंकवादी संगठनो के समर्थक है। मगर हम उनसे भी जयादा आम पाकिस्तानियों और उनके धर्म को जिम्मेदार मानते है। यह हमारी भूल है। आम पाकिस्तानी भारत के साथ मत्री चाहते है। भारतीये नागरीको के साथ पाकिस्तानी लोग हमेशा स्नेहपूर्ण वैव्हार करते है। वे लोग भी पाकिस्तानी सेना और नेताओ की कार्यवाहियों से त्रस्त है वे भी सेना से मुक्ति चाहते है। धर्म के नाम पर जो भारत विरोधी प्रचार होता है उसमे धर्म की बहुत कम भूमिका है। वह के सभी कट्टरवादी धार्मिक संगठन पाकिस्तानी सेना ,सरकार और सरकारी महकमो के समर्थन पर ही जिन्दा है।
२)
पाकिस्तानी सेना का गुप्तचर विभाग कुछ मौलवियों , आतंकवादी संगठनों तथा मुट्ठीभर विचारको के विचार से चलता है। उन्होंने हिंसा फैलाने का जो षड़यंत्र किया है उसका लक्ष्य केवल भारत नहीं होकर पश्चिमी देश भी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की सामान्य पाकिस्तानी जनता भी उनका लक्ष्य है। पहले प्रगतिशील विचारों के लोगो का मनोबल गिराकर पकिस्तान के अनुशस्त्रो पर कब्ज़ा करना , उसी समय भारत को भी अस्थिर बनाकर कुछ वर्षो में उस पर नियंत्रण करना और अंत में आतंकवाद के बल पर दुनिया पर प्रभुत्व प्राप्त करना - ऐसा दिव्या स्वपन वे लोग देखते है.
-३)
आम पाकिस्तानी लोग भारतीयों से प्रेम करते है , क्योकि उनकी सेना और राजनितिक नेता उनके साथ दोयाम दर्जे के नागरिको जैसा विवहार करते है। पकिस्तान का प्रशासन , कुछ सेना अधिकारी , सरकारी अधिकारी ,और कुछ राजनितिक दबंगों द्वारा चलाया जाता है। ये लोग बड़े जमींदार।,उद्योगपति ,और व्यापारी है। अपने बच्चो के एक -दुसरे के परिवारों में विवाह सम्बन्ध बनाकर ये लोग अपना द्यर सीमित रखते है. अर्थनीति और सैन्यशासन , इनका गटबंधन पकिस्तान में जितना मजबूत है उतना शायद रूस को छोड़ कर दुनिया के अन्य किसी भी देश में नहीं है। पकिस्तान का सैन्य वर्ग वह के बड़े उद्योग समूहों में से है। सेना की अपनी स्वैम की शाहीन एयर लाइन्स विमान सेवा तथा लगभग १०० -१५० कारखाने है। वे शक्कर से सीमेंट निर्माण तक प्रत्येक छेत्र में है। सभी महत्वपूर्ण पद ऊच्च वर्ग के पास में है।
४ )
पाकिस्तान में सेनापति ,मौलवी और आतंकवादी संगठन का ऐसा जाल बुन हुआ है की स्वतंत्रा के पूर्व काल के ब्रिटिशराज का स्मरण होता है। कुछ मुट्ठी भर लोग ऐश कर रहे है। शेष पाकिस्तानी समाज को उन्होंने बंधक बना रखा है। अंग्रेजो ने हमलोगों को जिस तरह से दोयम दर्जे का नागरिक बना रखा था ,वैसे ही पाकिस्तानी हुक्मरान भी अपने नागरीको को दोयम स्थान पर रखते है और भारत विरोधी प्रचार कर उनमे भय निर्माण करते है। आज सारे भारत में हो रहे आतंकवादी हमले और भी बढ़ेगे तथा अधिक प्रखर भी होंगे।
पाकिस्तानी शासक भारत की ओर केवल एक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में नहीं देखते , वह तो उनके लिये पाकिस्तान की जनता पर दवाब डालने का ,उनको गुलाम बनाये रखने का , उनको भय की अँधेरी कोठारी में बंद रखने का साधन है। उनका विरोध केवल भारत के लिये नहीं है। जहा- जहा इंसानियत है - भारत में , पाकिस्तान में अथवा दुनिया के किसी अन्य भाग में , उस इंसानियत से उनका विरोध है। भारत में यदि वास्तव में पाकिस्तानी आतंकवादी हमले रोकने की इक्षा और हिम्मत है तो भटके हुए युवको और खोखले धार्मिक संगठनो के पीचे समय गवाने के बजाय उसे रावलपिंडी में सेना के प्रमुख कार्यालय में बैठा उसके सूत्रधारो पर प्रहार करने की जरूरत है। आपकी वास्तविक टक्कर कुटिल पाकिस्तानी सेना के साथ है, यह पूर्णतया समझ लेना आवश्यक है।
५ )
पाकिस्तान की सेना के अहंकार का मुख्या कारन उन्हें अमेरिका द्वारा आंख बंदकर दी जाने वाली सहायता है। अफगानिस्तान में रूस को बर्बाद करने के लिये जिया उल हक ने अमेरिका से सैन्य सामग्री और कला धन रूस रूस विरोधी आतंकवादी संगठनो तक पहुचने की सुपारी तो ली ,मगर वास्तव में उसका बड़ा भाग वह पहुचाया ही नहीं गया , पाकिस्तान ने उसका उपयोग अन्य अस्थानो पर किया।
आतंकवाद के नाम पर उससे लडने के लिये बुश ने मुस्सरफ की खूब मदद की थी , उसके बदले मुस्सरफ़ सरकार ने बुश सरकार ने कुछ हवाई अड्डे ,यातायात के साधनों और महतवपूर्ण सैनिक ठिकानों पर मदद की। जनरल मुशर्रफ़ और बाद में आसिफ अली जरदारी ने अलकायदा के ९०० आतंकवादी पकड़ कर अमेरिका को सौपे। मगर इसी दौरान विरोधी आतंकवादी हमले करनेवाले संगठनो को भी भरपूर सामग्री दी। . इसके अलावा अमेरिका से प्राप्त शस्त्रों में तकनिकी परिवर्तन कर उन्हें अफगानिस्तान के स्थान पर भारत के विरुद्ध प्रयोग हेतु किया गया। अमेरिकी सरकार यह जानते हुए भी अनजान बनी हुई है। पकिस्तान में तथा दुनिया में अन्य स्थानों पर पाकिस्तानी गुप्तचर संगठनो द्वारा पाले -पोसे गए अताक्वादी केवल भारत ही नहीं बल्कि सारी मनुष्यता का सर्वनाश करने के लिए तांडव कर रहे है।

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