Thursday, 5 June 2014

असम में सुन्योजीत ढंग से बांग्लादेसी मुस्लिम घुसपैठियों को प्रवेश दिलाने के तथ्य और उसका समाधान

chaitanya shree असम में सुन्योजीत ढंग से बांग्लादेसी  मुस्लिम घुसपैठियों को प्रवेश दिलाने के तथ्य और उसका समाधान

ऐतिहासिक तथ्य
- १९४७ में पूर्वी बंगाल पाकिस्तान का हिस्सा बन  गया , उसके बाद असम में बंगालियों का आना शुरू हो गया। इस आवागमन के अंतर्गत दो वर्ग के लोग पूर्वांचल सीमा में पहुचे। एक वे बंगाली हिन्दू , जो पूर्वी पाकिस्तान की कट्टरपन्ती  सरकार द्वारा लुटे -पिटे जाने तथा धर्मपरिवर्तन के लिए बाध्य किये जाने पर भाग कर इधर आए और दूसरे वे लोग जो असम ,त्रिपुरा आदि क्षेत्रो को आगे चलकर मुस्लिम -बहुल बनाने की साजिश के अंतर्गत आए। असम को मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनाने का षड़यंत्र स्वाधीनता से भी बहुत वर्ष पहले शुरू कर दिया था , १९४१ में बंगाल और असम में मुस्लिम लीग का मंत्रीमंडल बना तो बंगाल की मुस्लिम लीग सरकार ने असम को भी मुस्लिम बहुल बनाने की योजना बनायीं। असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री सादुल्ला खान ने घोषणा की कि असम में खाली जमीन पड़ी है , उस पर खेती के लिए बंगाल से जो भी मुस्लिम असम में जाकर बसना चाहे , उन्हें मुफ्त जमीन दी जाएगी।

- लार्ड वेवेल ने अपनी डायरी में लिखा था  - श्री सादुल्ला खान का यह अभियान असम को अधिक अन्न उत्पादन की आड़ में मुस्लिम - बहुल बनाने के लिए था।

- हरिजन सेवक  में गांधीजी ने लेख लिख कर इस साजिश पर चिंता व्यक्त की थी। भारत विभाजन के दौरान मुस्लिम लीग ने असम व् बंगाल को मुस्लिम बहुल बता कर "पाकिस्तान " में शामिल किये जाने की मांग राखी थी , लेकिन केंद्र सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया था , यह प्रमाण देकर कि असम हिन्दू -बहुल क्षेत्र है। सिलहट जिले को मुस्लिम -बहुल मानकर पाकिस्तान में मिला लिया गया था , किन्तु शेष असम भारत में ही रह गया।

- मोहम्मद अली जिन्नाह ने लिखा था " अगर लीग के नेता असम में पहले ही मुस्लिमो को जोड़ -शोर से बसाने का काम करते तो असम भी पाकिस्तानी अंग होता।

-जुल्फिकार अली भुट्टो ने भी " दी मिथ ऑफ इंडिपेंडेंस "पुस्तक में साफ़ लिखा था -"पाकिस्तान के लिए केवल कश्मीर ही नहीं , असम भी महत्वपूर्ण है। जब तक हमें असम नहीं मिलेगा , हम चैन से नहीं बैठेंगे।

- श्री जवाहर लाल नेहरू ने १९६२ में लोकसभा में चिंता प्रकट करते हुए कहा था ,"असम क्षेत्र में पूर्वी पाकिस्तान से भारी संख्या में बांलादेशियो  का अवैध प्रवेश देश के लिए चिंता का विषय है। "
- सूचना और प्रसारण मंत्रालय के विज्ञापन और प्रचार विभाग के १९६३ में प्रसारित एक लेख में कहा गया था -"सरकार के पास पूरे प्रमाण है की किस प्रकार पूर्वी पाकिस्तान से सीमा पार कर असम और बिहार में प्रवेश किया जाता रहा है।  इन घुसपैठियों ने सीधे -सादे असमी और बिहारी  किसानो की जमीन -जायदाद हथिया ली है।  यहाँ तक की वे अपने नाम पर ही भूमि -कर भी देते रहे है। स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से उन्हें संपत्ति पंजीकरण प्रमाण पत्र भी मिल गए है। राजनितिक दलों  ने भी चुनाव के समय इन घुसपैठियों के नाम मतदाता सूचियो में चढ़वा कर वोटो का लाभ उठाया। "

आज का तथ्य :-

यदि देश के अन्य भागो की तरह असम में जनसंख्या वृद्धि होती असम की जनसँख्या लाखो में होती लेकिन घुसपैठ से यह जनसँख्या करोड़ो में पहुँच गयी है , इसी कारन चाय बागान , बीहू जैसे प्राचीन परम्परा के नृत्यों और वन्य प्राणियों के लिए संसार भर में प्रसिद्ध अस्स्सम में सांस्कृतिक परम्पराओ की पहचान आदि को खतरा पैदा हो चुका है। वही चाय बागान के परंपरागत श्रमिक भी बेरोजगारी का सामना करने लगे है। असम का अधिकाँश हिस्सा अवैध नागरिको की उपस्थिति से अपना स्वरुप बदल चूका है और जो इलाके कभी असमिया बहुल हुआ करते थे वहा  असामिया अल्पसंख्यक होते जा रहे है।

- गौहाटी हाई कोर्ट के न्यायधीश बी के शर्मा ने अवैध नागरिको के मसले पर सुनवाई के दौरान कहा था कि अवैध नागरिको की पहचान और बाहर करने के नाम पर मजाक चल रहा है और मूल बाशिंदों के अल्पसंख्यक हो जाने का खतरा है जो अब  हो गयी है  लगता है यदि असम में एक और कश्मीर बन गया तो खंडित होते देर नहीं लगेगी ,वोट बैंक की राजनीती का परिणाम राष्ट्र को भुगतना होगा।

समाधान :-
- बांग्लादेश और भारत के बॉर्डर को पूर्णतः  सील किया जाय, जिस तरह से पाकिस्तानी बॉर्डर सील है उसी तरह इसे भी सील किया जय।
-   बांग्लादेश और भारत के बॉर्डर पर रोड का जाल बिछाया जाये जिससे बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स को गश्ती पे परेशानी ना हो।
- अगर अवैध नागरिको का पता चलता है उसे वापस भेजने का प्रयास करना होगा ,इसके लिए ख़ुफ़िया विभाग के साथ  स्पेशल टीम गठित करना होगा ,जो उन्हें वापस भेजने का काम करेगी।
- सरकार को बांग्लादेश से बात कर उसके नागरिको के आर्थिक व् सामाजिक , व्यापारिक उत्थान के लिए बात कर सहयोग करना होगा। जिस तरह से हम अफगानिस्तान के लिए कर रहे है।
-भारत के लिए बांग्लादेश कूटनीतिक स्तर सेऔर व्यापारिक स्तर से  बहुत ही महत्वपूर्ण देश है जहाँ चीन अपनी जड़े मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।




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