chaitanya shree ड्रैगन के साथ भारत का वर्त्तमान परिदृश्य काफी खतरनाक
चीन और भारत के बीच के सम्बन्धो में मुझे ऐसा लगता है कि चीन के साथ भारत का वर्त्तमान परिदृश्य काफी खतरनाक है। चीन विश्व कि दूसरी अर्थव्यवस्था होने के अहंकार के साथ भारत और पडोसी देशो को यह दिखाने में लगा हुआ है कि अधिक ताक़त उसी के पास है , गिलिगीत और बल्ल्तिस्तान में उसके ग्यारह हजार से अधिक सैनिक तैनात है , इस क्षेत्र में चीन का दब दबा बढ़ रहा है , इन क्षेत्रो का वास्तविक नियंत्रण चीन अपने हाथो में ले रहा है ,यह क्षेत्र सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखता है , यह क्षेत्र चीन के जियान - जियांग प्रांत से जुड़ा हुआ है , जहा मुस्लिम अलगाववादी काफी सक्रीय है , पकिस्तान गिलिगीत तथा बालटिस्तान के लोगो में बढ़ती चीनी प्रभाव के विरुद्ध को नजरअंदाज कर रहा है , यह सन्देश पुराना हो रहा है कि चीन एक न एक दिन कश्मीर को विवादित क्षेत्र घोषित कर पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा कर लेगा और भारतीय कश्मीर के सर के ऊपर बैठ जायेगा भारतीय डिफेन्स स्टडीज में वत्र्तमान परिस्थिति को काफी खतरनाक बताया है।
भारत को एक प्रभुत्व संपन्न राष्ट्र के रूप में अपनी प्रादेशिक अखंडता कि रक्षा के लिए , कुछ करना होगा जो केवल नरेंद्र भाई ही कर सकते है ,कांग्रेस ने सीमाओ को इतना नरम किया हुआ था , कि अगर इसे दुरुस्त नहीं किया गया तो देश का भगवान् ही मालिक है , सीमाओ का नर्म बनाने का विचार अच्छा हो सकता है , लेकिन हकीकत यह है कि जब चीन अपनी परियोजनाओ को पाक अधिकृत कश्मीर में पूरा कर लेगा तो भारत अपने आपको एक शिकंजे में फंसा हुआ पायेगा।
ड्रैगन हर तरफ से अपना सैन्य बुनयादी ढांचा मजबूत कर रहा है , जबकि भारत बहुत छोटे -छोटे कदम उठा रहा है , - कश्मीर के दक्षिण पूर्वी लद्दाख में दमचेक क्षेत्र के निकट ड्रैगन ने अपना निर्माण कार्य जारी रक्खा हुआ है। पूर्वी लद्दाख में विवादास्पद बिन्दुओ पर चीन ने भारत का निर्माण कार्य डरा - धमका कर रुकवा दिया था , लेकिन केंद्र कि निक्कमी कांग्रेस सरकार खामोश बैठी रही थी , जिसे नरेद्र भाई ने फिर से शुरू करवाया है। २००९ में भारत ने वास्तविक नियंतरण रेखा के निकट सड़क निर्माण शुरू किया था ,लेकिन चीन ने उसे भी रुकवा दिया था जिसे भी नरेंद्र भाई को शुरू करवाया है ,चीन यहाँ पर हर तरह के मौसम को झेलने में सक्षम इमारते बनवा रहा है ,और सर्दी हो या गर्मी यहाँ २०० सैनिक तैनात रहते है , चीनी सैनिको ने वह लाल रंग का बैनर लगा दिया है जिस पर लिखा है कि "यह वास्तविक नियंत्रण रेखा है और आप चीनी क्षेत्र में है "स्थानीय निवासियो को ये चीनी सैनिक बार -बार धमकाते है , लेकिन भाजपा कि ये केंद्र सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठने वाली नहीं है , चीन एक -एक इंच लद्दाख में भी आगे बढ़ रहा है ,नरेंद्र मोदी कि सत्ता आने से वह कुछ रुकावट हुई है , तो चीन को इस विषय पर सोचना मजबूरी हो रहा है । राष्ट्र अपनी रक्षा के लिए शसक्त नेतृत्व पर भरोसा करता है।
भारत को पकिस्तान व् चीन कि तरफ से इस खतरे के प्रति सचेत हो जाना चाहिए , भारत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह उठाना होगा कि अगर जम्मू कश्मीर विवादास्पद है तो तिब्बत भी और जियान -जियांग का क्षेत्र भी विवादास्पद है ,जो कि नरेंद्र मोदी का शसक्त नेतृत्व ही कर सकता है।
चीन और भारत के बीच के सम्बन्धो में मुझे ऐसा लगता है कि चीन के साथ भारत का वर्त्तमान परिदृश्य काफी खतरनाक है। चीन विश्व कि दूसरी अर्थव्यवस्था होने के अहंकार के साथ भारत और पडोसी देशो को यह दिखाने में लगा हुआ है कि अधिक ताक़त उसी के पास है , गिलिगीत और बल्ल्तिस्तान में उसके ग्यारह हजार से अधिक सैनिक तैनात है , इस क्षेत्र में चीन का दब दबा बढ़ रहा है , इन क्षेत्रो का वास्तविक नियंत्रण चीन अपने हाथो में ले रहा है ,यह क्षेत्र सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखता है , यह क्षेत्र चीन के जियान - जियांग प्रांत से जुड़ा हुआ है , जहा मुस्लिम अलगाववादी काफी सक्रीय है , पकिस्तान गिलिगीत तथा बालटिस्तान के लोगो में बढ़ती चीनी प्रभाव के विरुद्ध को नजरअंदाज कर रहा है , यह सन्देश पुराना हो रहा है कि चीन एक न एक दिन कश्मीर को विवादित क्षेत्र घोषित कर पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा कर लेगा और भारतीय कश्मीर के सर के ऊपर बैठ जायेगा भारतीय डिफेन्स स्टडीज में वत्र्तमान परिस्थिति को काफी खतरनाक बताया है।
भारत को एक प्रभुत्व संपन्न राष्ट्र के रूप में अपनी प्रादेशिक अखंडता कि रक्षा के लिए , कुछ करना होगा जो केवल नरेंद्र भाई ही कर सकते है ,कांग्रेस ने सीमाओ को इतना नरम किया हुआ था , कि अगर इसे दुरुस्त नहीं किया गया तो देश का भगवान् ही मालिक है , सीमाओ का नर्म बनाने का विचार अच्छा हो सकता है , लेकिन हकीकत यह है कि जब चीन अपनी परियोजनाओ को पाक अधिकृत कश्मीर में पूरा कर लेगा तो भारत अपने आपको एक शिकंजे में फंसा हुआ पायेगा।
ड्रैगन हर तरफ से अपना सैन्य बुनयादी ढांचा मजबूत कर रहा है , जबकि भारत बहुत छोटे -छोटे कदम उठा रहा है , - कश्मीर के दक्षिण पूर्वी लद्दाख में दमचेक क्षेत्र के निकट ड्रैगन ने अपना निर्माण कार्य जारी रक्खा हुआ है। पूर्वी लद्दाख में विवादास्पद बिन्दुओ पर चीन ने भारत का निर्माण कार्य डरा - धमका कर रुकवा दिया था , लेकिन केंद्र कि निक्कमी कांग्रेस सरकार खामोश बैठी रही थी , जिसे नरेद्र भाई ने फिर से शुरू करवाया है। २००९ में भारत ने वास्तविक नियंतरण रेखा के निकट सड़क निर्माण शुरू किया था ,लेकिन चीन ने उसे भी रुकवा दिया था जिसे भी नरेंद्र भाई को शुरू करवाया है ,चीन यहाँ पर हर तरह के मौसम को झेलने में सक्षम इमारते बनवा रहा है ,और सर्दी हो या गर्मी यहाँ २०० सैनिक तैनात रहते है , चीनी सैनिको ने वह लाल रंग का बैनर लगा दिया है जिस पर लिखा है कि "यह वास्तविक नियंत्रण रेखा है और आप चीनी क्षेत्र में है "स्थानीय निवासियो को ये चीनी सैनिक बार -बार धमकाते है , लेकिन भाजपा कि ये केंद्र सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठने वाली नहीं है , चीन एक -एक इंच लद्दाख में भी आगे बढ़ रहा है ,नरेंद्र मोदी कि सत्ता आने से वह कुछ रुकावट हुई है , तो चीन को इस विषय पर सोचना मजबूरी हो रहा है । राष्ट्र अपनी रक्षा के लिए शसक्त नेतृत्व पर भरोसा करता है।
भारत को पकिस्तान व् चीन कि तरफ से इस खतरे के प्रति सचेत हो जाना चाहिए , भारत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह उठाना होगा कि अगर जम्मू कश्मीर विवादास्पद है तो तिब्बत भी और जियान -जियांग का क्षेत्र भी विवादास्पद है ,जो कि नरेंद्र मोदी का शसक्त नेतृत्व ही कर सकता है।
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