Thursday, 6 March 2014

क्या आतंकवाद भारत कि पहचान को समाप्त करने का षड्यंत्र है ?

chaitanya shree  क्या आतंकवाद भारत कि पहचान को समाप्त करने का षड्यंत्र है ?
आतंकवाद शब्द पर मै कुछ अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ जिसपर आपलोग भी अपनी राय व् प्रतिक्रिया जरूर दे। 
जनता का ध्यान भटकाने के उद्देश्य से कांग्रेस व् छोटे व् मंझोले पार्टिया जिन्होंने आतंकवाद व् नक्सल वाद को पोषित किया जो अपने को सेक्युलर पार्टिया कहती है एक राजनितिक षड्यंत्र रच कर राष्ट्रीय स्वयं  सेवक संघ , हिन्दू संगठनो व् साधू -सन्यासियो के सर आतंकवाद का ठीकरा फोड़ने का प्रयास शुरू कर दिया है , हिन्दू आतंक वाद व् भगवा आतंकवाद जैसे शब्द गढ़ कर यूनाइटेड पीपल अल्लाइन्स यानि कांग्रेस सरकार ने जिहादी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को दूसरी दिशा में मोड़ने कि कोशिश कर रही है जिससे कि भारतीय जनता पार्टी कि विकास  कि राजनीती पीछे छूट जाये और ये हिन्दू आतंकवाद व् इस्लामिक आतंकवाद के उलझन में फस जाये।

दरसल जिहादी आतंकवाद के स्वरुप को समझना बहुत जरूरी हो गया है , देश में गत दो दसको से शुरू हुए जिहादी आतकवाद के दौर में हजारो निर्दोष नागरिक व् सेना व् सुरक्षा बलो के जवानो -अधिकारियो कि निरशंश हत्या कि गयी , राष्ट्र कि सम्प्रभुता व् आंतरिक सुरक्षा को छिन्न -भिन्न कर देने का दुष्ट प्रयास किया गया , इनकी अनदेखी कर कांग्रेस कि सरकार ने व् कथित सेक्युलर दलो के कुछ लोग वोट कि राजनीती और सत्ता कि राजनितिक स्वार्थ के लिए हिन्दू आतकवाद का भूत खड़ा कर रहे है , जिससे आपको सावधान होने कि आवश्यकता है , दरसल  इस तरह कि हिंदुत्व विरोधी दुस्प्रचार करते हुए ये लोग हिन्दू चेतना , राष्ट्र चेतना के प्रतीक देश भक्तो को बदनाम कर व् भ्रम उत्पन्न कर के सत्ता कि राजनीती के लिए राष्ट्रविरोधी व् अलगाववादी ताकतो कि जड़ मजबूत कर रहे है तथा इनकी अनदेखी कि जा रही है। जिसका अभी जीता जगता मिसाल नयी पार्टी आम आदमी पार्टी है जो कश्मीरी अलगाव वाद को बढ़ावा देता है हमरी मातृ भूमि को काटने कि बात करता है। फिर से १९४७ कि घटना को मूर्त्तरूप देने कि कोशिश कि जा रही है। 

आतंकवाद  सिर्फ कानून व्यवस्था कि समस्या नहीं है , यह भारत कि पहचान को ही समाप्त करने का षड्यंत्र है , पकिस्तान के तानाशाह जनरल जियाउल हक़ ने तो इस्लामिक युद्ध (जिहाद) पर एक पूरी पुस्तक लिखवाई जो पकिस्तान के जवानो के लिए पढ़ना आवश्यक थी , इस जुनूनी मानसिकता को समझने के बजाय कथित सेक्युलर दल वोट और सत्ता कि राजनीती के लिए पोषित कर रहे है , दिग्विजय सिंह , अरविन्द केजरीवाल , जैसे राष्ट्र विरोधी नेता आतंकवादियो से लड़ते हुए बलिदान हुए पुलिस अधिकारी मोहन चन्द्र शर्मा के बलिदान लांछित करते हुए मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियो के घर जा कर उनके परिजनो को संतावना देते है तथा न्याय दिलाने कि बात करते है  और दूसरी तरफ मुस्लिम वोट को पाने के लिए अरविन्द केजरीवाल  फिर से न्यायिक जांच कि बात करते है  ऐसा लगता मोहन चन्द्र शर्मा कि सहादत नौटंकी का रूप देने में इन लोगो ने कोई कसर नहीं छोड़ी है वाह  रे हमारा सेकुलरिज्म। आखिर में मै कहना चाहता हूँ किवास्तविकता से आँखे मूँद कर अपनी राजनितिक स्वार्थ के लिएदेश को न बाटे। 
 दोस्तों आपलोगो को यह जानकार आश्चर्य होगा संप्रंग सरकार  के ही पूर्व सलाहकार ऍम के नारायणन ने माना था कि  पकिस्तान पोषित आतंकवादियो के ८०० ठिकाने है और कुछ दिन बाद रक्षा मंत्री श्री ए के अंटोनी ने पकिस्तान में ३२ से जायदा आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरो के चलने कि बात कही थी। 
अब आप लोगो को ही विचार करना होगा कि राष्ट्र को बचाने के लिए किसे वोट देना है। इसका निर्णय आपलोगो पर छोड़ता हूँ। 
       

No comments: