chaitanya shree
हमें किस प्रकार के राजनेता चाहिये ?
हमें किस प्रकार का राजनेता चाहिये इस विषय पर हमें विचार करना होगा। राज्य कि निति बनाने वाले वयक्ति जिन्हे हम राज्य का नेता कहते है , जो विभिन्न प्रकार कि राज्य कि नीतिया बनाते है क्या वह राजनितज्ञ राज्य कि नीतियाँ बनाने में सक्षम है ? यह एक बहुत बड़ा सवाल हमारे देश में जो हमें नजर आ रहा है। इस विषय पर हमें विचार करना होगा , हमें उसकी विद्वता ,उसके कर्म , उसके आचरण ,उसका आत्मसमर्पण देश के प्रति कैसा हो ,उस पर भी विचार करना होगा।
आजकल मुझे ऐसा लगता है कि राजनीती के धधे के पीछे सत्तालोलुपता ,भ्रस्टचार ,स्वार्थ एवं नीतिहीनता के लिये ही लोग राजनीती में आते है। मुझे ऐसा लगता है कि शिक्षित मध्यमवर्गिये लोग राजनीती को अछूत समझ कर उससे दूर रहना ही पसंद करते है , वोटर ई कार्ड बनाना इस वर्ग के लिये इसलिये जरूरी है क्योकि बैंक खता ,अन्य तमाम चीजो में इसकी जरूरत पड़ती है .यह वर्ग वोट डालने के लिये वोटर कार्ड नहीं बनाता है।यह वर्ग वोट डालना भी पसंद नहीं करता है ,उनके वोट ना डालने के पीछे किसी ने यह सोचा है कि वे वोट क्यों नहीं डालना चाहते है ? इस विषय पर जब मैने कुछ लोगो से बात किया तो उनका जवाब था कि वे वोट इसलिये नहीं डालना चाहते क्योकि उन्हें सभी जगह पैसा देकर ही काम करना पड़ता है , तो पार्टी कोई भी आये हमें क्या फर्क पड़ता है। नेता से लेकर बाबुओ तक भ्रस्टाचार ने अपनी जड़े इतनी गहरी कर ली है कि उसे मिटाने में जनता भी हार मान चुकी है। लेकिन मै इस विचार से सहमत नहीं हू, मै तो ये मानता हू कि अगर प्रमुख पार्टिया अगर अच्छे , विद्वान ,कर्त्तव्यनिष्ठ ,कर्मठ ,वयक्तियो को समाज से चुनकर टिकट देना चाहिये जिससे हमारे मातृभूमि का सर्वांगीण विकास हो सके। अगर राजनीतिज्ञो में त्याग कि भावना बनेगी ,तथा वह अपनी जनता का पिता समान रखेगा , तभी राजनीती का धंधा सदा के लिये बंद होगा, इसकेलिये सभी पार्टियो को समान रूप से सोचना होगा , पैसे लेकर टिकट न बाटे , रिस्तेदारो को टिकट न बाटे , क्या जो वयक्ति विद्वान है उसका बेटा भी उसी तरह का विद्वान हो सकता है ? मुझे तो नहीं लगता , राजनीती में परिवारवाद से कोई भी राजनितिक पार्टी अछूता नहीं रहा है।इससे ऊपर उठ कर राजनितिक पार्टियो को देश के लिये सोचना होगा ना कि परिवार के लिये ।
मुझे लगता है कि हमारी चुनाव कि प्रक्रिया ही गलत रूप ले रही है ,जिसमे सुधार कि जरूरत है , गलत लोगो का चुनाव हमारे देश को खोकला कर रहा है। अगर किसी राज्य या देश के लिये मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री चुनना है तो केवल उसी पद के लिये ही राज्य एवं देश में मतदान होना चाहिये तथा जो वयक्ति चुना जाता है वह मिनिस्टर ऑफ़ कॉउसिल अपने-अपने छेत्र से जुड़े वयक्तियो या पार्टी से जुड़े उन विद्वान वयक्तियो को ले जिनका उस छेत्र में योगदान रहा हो। जिससे कि वह मंत्रालय अपना कार्य अच्छी तरह से कर सकता हो मेरे विचार से तो विपक्छी पार्टियो से भी विद्वान वयक्तियो को मिनिस्टर ऑफ़ कौंसिल में लिया जाना चाहिये जिससे देश सुचारु रूप से चल सके और कई ठोस निर्णय लिया जा सके।
भ्रस्टाचार पर पार्टियो को खुद भ्रस्टाचार निरोधी कौंसिल बनाना चाहिये जिससे अनेक मंत्रालयों कि समीक्छा कि जा सके और दोषियो पर कार्यवाही कि जाये।
यह विचार हमारा निजी है इससे पार्टी को कोई लेना देना नहीं है।
चैतन्य श्री
हमें किस प्रकार के राजनेता चाहिये ?
हमें किस प्रकार का राजनेता चाहिये इस विषय पर हमें विचार करना होगा। राज्य कि निति बनाने वाले वयक्ति जिन्हे हम राज्य का नेता कहते है , जो विभिन्न प्रकार कि राज्य कि नीतिया बनाते है क्या वह राजनितज्ञ राज्य कि नीतियाँ बनाने में सक्षम है ? यह एक बहुत बड़ा सवाल हमारे देश में जो हमें नजर आ रहा है। इस विषय पर हमें विचार करना होगा , हमें उसकी विद्वता ,उसके कर्म , उसके आचरण ,उसका आत्मसमर्पण देश के प्रति कैसा हो ,उस पर भी विचार करना होगा।
आजकल मुझे ऐसा लगता है कि राजनीती के धधे के पीछे सत्तालोलुपता ,भ्रस्टचार ,स्वार्थ एवं नीतिहीनता के लिये ही लोग राजनीती में आते है। मुझे ऐसा लगता है कि शिक्षित मध्यमवर्गिये लोग राजनीती को अछूत समझ कर उससे दूर रहना ही पसंद करते है , वोटर ई कार्ड बनाना इस वर्ग के लिये इसलिये जरूरी है क्योकि बैंक खता ,अन्य तमाम चीजो में इसकी जरूरत पड़ती है .यह वर्ग वोट डालने के लिये वोटर कार्ड नहीं बनाता है।यह वर्ग वोट डालना भी पसंद नहीं करता है ,उनके वोट ना डालने के पीछे किसी ने यह सोचा है कि वे वोट क्यों नहीं डालना चाहते है ? इस विषय पर जब मैने कुछ लोगो से बात किया तो उनका जवाब था कि वे वोट इसलिये नहीं डालना चाहते क्योकि उन्हें सभी जगह पैसा देकर ही काम करना पड़ता है , तो पार्टी कोई भी आये हमें क्या फर्क पड़ता है। नेता से लेकर बाबुओ तक भ्रस्टाचार ने अपनी जड़े इतनी गहरी कर ली है कि उसे मिटाने में जनता भी हार मान चुकी है। लेकिन मै इस विचार से सहमत नहीं हू, मै तो ये मानता हू कि अगर प्रमुख पार्टिया अगर अच्छे , विद्वान ,कर्त्तव्यनिष्ठ ,कर्मठ ,वयक्तियो को समाज से चुनकर टिकट देना चाहिये जिससे हमारे मातृभूमि का सर्वांगीण विकास हो सके। अगर राजनीतिज्ञो में त्याग कि भावना बनेगी ,तथा वह अपनी जनता का पिता समान रखेगा , तभी राजनीती का धंधा सदा के लिये बंद होगा, इसकेलिये सभी पार्टियो को समान रूप से सोचना होगा , पैसे लेकर टिकट न बाटे , रिस्तेदारो को टिकट न बाटे , क्या जो वयक्ति विद्वान है उसका बेटा भी उसी तरह का विद्वान हो सकता है ? मुझे तो नहीं लगता , राजनीती में परिवारवाद से कोई भी राजनितिक पार्टी अछूता नहीं रहा है।इससे ऊपर उठ कर राजनितिक पार्टियो को देश के लिये सोचना होगा ना कि परिवार के लिये ।
मुझे लगता है कि हमारी चुनाव कि प्रक्रिया ही गलत रूप ले रही है ,जिसमे सुधार कि जरूरत है , गलत लोगो का चुनाव हमारे देश को खोकला कर रहा है। अगर किसी राज्य या देश के लिये मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री चुनना है तो केवल उसी पद के लिये ही राज्य एवं देश में मतदान होना चाहिये तथा जो वयक्ति चुना जाता है वह मिनिस्टर ऑफ़ कॉउसिल अपने-अपने छेत्र से जुड़े वयक्तियो या पार्टी से जुड़े उन विद्वान वयक्तियो को ले जिनका उस छेत्र में योगदान रहा हो। जिससे कि वह मंत्रालय अपना कार्य अच्छी तरह से कर सकता हो मेरे विचार से तो विपक्छी पार्टियो से भी विद्वान वयक्तियो को मिनिस्टर ऑफ़ कौंसिल में लिया जाना चाहिये जिससे देश सुचारु रूप से चल सके और कई ठोस निर्णय लिया जा सके।
भ्रस्टाचार पर पार्टियो को खुद भ्रस्टाचार निरोधी कौंसिल बनाना चाहिये जिससे अनेक मंत्रालयों कि समीक्छा कि जा सके और दोषियो पर कार्यवाही कि जाये।
यह विचार हमारा निजी है इससे पार्टी को कोई लेना देना नहीं है।
चैतन्य श्री
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