अतिवृष्टिः अनावृष्टिः शलभा मुषकाह शुकाः।
स्वचक्रम परचक्रम च सप्तैता इतयह स्मृताः।। -कौशिकपद्ध्ती
अर्थ : राज्य करता धर्मनिष्ट न हो , तो प्रजा धर्मपालन नहीं करती। फलस्वरूप अतिवृष्टि ,अनावृष्टि (अकाल ),टिड्डो का आक्रमण , चूहों का उत्पात , तोतो का उपद्रव मचाना , आपसी लडाईया और शत्रु के आक्रमण , ऐसे सात प्रकार के संकट (राष्ट्र)पर आते है।
तात्पर्य , प्रजा और रजा , दोनों का धर्मपालन और साधना करना आवश्यक है। तब ही आपातकाल की तीव्रता अल्प होगी।
स्वचक्रम परचक्रम च सप्तैता इतयह स्मृताः।। -कौशिकपद्ध्ती
अर्थ : राज्य करता धर्मनिष्ट न हो , तो प्रजा धर्मपालन नहीं करती। फलस्वरूप अतिवृष्टि ,अनावृष्टि (अकाल ),टिड्डो का आक्रमण , चूहों का उत्पात , तोतो का उपद्रव मचाना , आपसी लडाईया और शत्रु के आक्रमण , ऐसे सात प्रकार के संकट (राष्ट्र)पर आते है।
तात्पर्य , प्रजा और रजा , दोनों का धर्मपालन और साधना करना आवश्यक है। तब ही आपातकाल की तीव्रता अल्प होगी।
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