Thursday, 11 April 2013

भगवा भारत का परियावाची है भगवा आतंक नहीं है

प्रतिष्टित  स्ताब्म्ह्कर और पत्रकार हृदयनारायण  दीक्षित  ने अपने एक लेख में भगवा की व्याख्या की है : भगवा भारत का परियावाची है . भा का अर्थ  प्रकाश से है,  आभा  में भा की दीप्ती है ,, परफा में भी दीप्ती वाचक है, रत का अर्थ संलग्न  होता है , सो भारत का अनुभूत अर्थ है-प्रकाश संलग्न राष्ट्रीयता .

भगवा दिव्य ज्योति अनुभूति है, दीप स्वैम  जलता है, स्वैम  की अन्धकार की परवाह नहीं करता  लेकिन तमस अन्धकार से लड़ता है,, तमस  से लड़ते  समय उसकी ज्योति का रूप रंग भगवा हो जाता है , भगवा भारत की प्राकृत  और संस्कृति है , भगवा स्व -भाव है, भाग्य संभावना है, भगवान् परम लक्छ्य है ,यहाँ भगवन आस्था नहीं है , यहाँ भगवा बीज है, हरेक बीज में अनन्त सम्भावनाये है, वह भविष्य का पौधा है, सुरभित पेड़ है ढेर सरे फूलो से लड़ा-फाड़ा वृक्ष है, वह फिर नए बीज देने की संभावनाओ से भी लैस है,.

भगवा आतंक वाद बोल कर कांग्रेस ने १ ० ० करोर हिन्दू जनता को गलिया दी है ,जो बेसक दया का पात्र है लेकिन छमा के योग्य नहीं ःआई. . ये कांग्रेसियो ने भारत की सनातन प्रज्ञा को गाली दी है . भगवा  भारत का अन्तर्मन है।अन्तर्मन का निर्माण अनुभूति से होता है ,  भगवा आतंक नहीं है 

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