Monday, 25 September 2017

chaitanya shreeपंडित दीन दयाल के १०१ वि जयंती पर अन्तोदय के मार्ग पर हमारा सफ़र प्रारम्भ हो चूका है.

chaitanya shreeपंडित दीन दयाल के १०१ वि जयंती पर अन्तोदय के मार्ग पर हमारा सफ़र प्रारम्भ हो चूका है.
chaitanya shree नरेंद्र मोदीजी कि यह सोच है कि समय आ गया है हमें नयी दिशा और नयी समीकरण कि खोज करने कि जरूरत है। सर्वांगीण प्रगति का धेय कैसे साध्य होगा और सही अर्थो में अंत्योदय कैसे आएगा इसपर विचार पार्टी ने किया है जिसे जमीन पर उतरा जा रहा है । पुरे विश्व में अपने नेताओ का महत्व बढ़ने मात्र से देश का विकास नहीं होगा। सामान्य जनता जब जीवन से निराश नहीं होगी , सबकी आवश्यकताए पूरी होंगी , जब वे अपने बच्चो के रोजगार के लिए निश्चिन्त होंगे , पानी , बिजली , शौचालय सबको सुलभ होंगे , तभी हमारा विकास हुआ यह हम समझेंगे। जबतक विकास पिछड़े जिलो में ठोस रूप से आकार नहीं ले लेता , शहरो में १०-१५ प्रतिशत जुग्गी जोपड़िया कम नहीं होती है , तभी हम सही मार्ग पर चल पड़े है , यह कहा जा सकेगा। जिसकी शुरुआत आदरणीय मोदीजी द्वारा हो चुकी है।
श्री नरेद्र मोदीजी कि यह सोच है कि जब तक किसानो से लेकर विद्यार्थियो तक सभी कि आत्महत्याए बंद नहीं होगी तभी हम दावा कर सकेंगे कि हम इंसानियत को समझते है। जब हम गरीबो के आंसू पोछेंगे , एक स्वस्थवर्धक समाज का का निर्माण करेंगे और ऊँची इमारते बनाने के लिये प्रकृति पर आक्रमण पूर्णतया बंद करेंगे , तभी अन्तोदय के मार्ग पर हमारा सफ़र प्रारम्भ होगा ।
श्री नरेंद्र मोदीजी कि यह सोच है कि अगर आतंकवाद व् नक्सलवाद को मिटाना है तो हमें प्रमाणिक न्याय ,भारत यानि भ्रस्टाचार मुक्त समाज , भारत यानि सिद्धांतो पर आधारित ,भारत यानि युवको का स्फूर्ति स्थान , भारत यानि भाई- भतीजावाद का धिक्कार करने वाला समाज , भारत यानि आशावाद , जैसे मूल्यो पर खरा उतरना होगा। तभी अंतोदय होगा। मुझे इस बात की ख़ुशी है की बंगलोरे अधिवेशन में अंतोदय शब्द को प्राथमिकता दी गयीथी जिसे हम दीन दयाल उपाधय के आदर्शो को उतरने की कोशिश कर रहे है।



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