Monday, 14 August 2017

जनसंख्या नियंत्रण कानून एवं इस्लामिक राज्य पद्धति? इसका उत्तर ढूंढ़ने की कोशिश किया हूँ।

chaitanya shree मित्रो हमें पहले इसके लिए  इस्लाम के शासन पद्धत्ति को समझना होगा , इस्लाम भूछेत्रीय नातो को नहीं मानता है , इसके रिश्ते -नाते सामाजिक और मजहबी होते है ,अतः ये दैशिक सीमाओं को  नहीं मानते (pan-islamisim) का यही आधार है ,इसी से प्रेरित हिन्दुस्तान का हर मुसलमान कहता है की वह मुसलमान पहले है हिन्दुस्तानी बाद में।

टीवी चैनेलो में इस्लामिक स्कॉलर व् बुद्धिजीवीओ  का विरोध को समझने के लिए हमें मुस्लिम संप्रदाय की मूलभूत राजनितिक प्रेरणाओं को समझना जरूरी है, जैसे मुस्लिम कानून के अनुस्वार दुनिया दो भागो में बटी है ,एक दारुल इस्लाम (इस्लाम का आवास )और दारुल हर्ब (संघर्ष का देश ).इस्लामिक कानून के अनुस्वार भारत हिन्दुओ और मुसलमानो की साझी मातृभूमि नहीं हो सकती ,यह मुसलमानो की जमीन हो सकती है ,पर बराबरी में रहते हिन्दुओ और मुसलमानो की जमीन नहीं हो सकती ,यह मुसलमानो की जमीन भी तभी हो सकती है जब इस पर मुसलमानो का राज हो। जिस क्षण इस भूमि पर किसी गैर -मुस्लिम का अधिकार हो जाता है यह मुसलमानो की जमीन नहीं रहती ,दारुल इस्लाम के स्थान पर दारुल हर्ब हो जाता है। जब तक कांग्रेस की शासन रही एक मुस्लिम राज था ,क्योकि कांग्रेस का शीर्ष नेत्रित्व इस्लाम को ही मानने वाले थे लेकिन नरेंद्र मोदी के आने से ये देश दारुल हर्ब हो गया जो इस्लाम के मानने वालो नागवारा लग रहा है ,जम्मू कश्मीर की इस्लामिक लड़ाई भी इसी तर्ज़ पर है। हामिद अंसारी ने कोई नई बात नहीं कही उन्होंने इस्लाम धर्म के आधार पर ही अपनी बातो को कहा था। मित्रो जब अंग्रेज भारत पर कब्ज़ा किया था तब भी यही सवाल पैदा हुआ था की भारत दारुल हर्ब है या दारुल इस्लाम। इस विषय पर भारत में ५० वर्षो तक चर्चा हुई की भारत दारुल हर्ब है की दारुल इस्लाम। जिस कारन कई लोग हिजरत कर अफगानिस्तान की ओर कूच कर गए।मित्रो आज की तारिख में इस्लाम के अनुस्वार नरेंद्र मोदी का शासन काल एक दारुल हर्ब है जिसे मुस्लिम बौद्धिक जिहाद के रूप में लड़ रहे है और कश्मीर में हथियारों से।

इस्लामिक सिद्धांतो के अनुस्वार मुसलमान जेहाद केवल छेड़ ही नहीं सकते बल्कि जेहाद की सफलता के लिए किसी विदेशी मुस्लिम शक्ति को सहायता के लिए बुला भी सकते है और इसी प्रकार यदि भारत के विरुद्ध कोई विदेशी मुस्लिम शक्ति ही जेहाद छेड़ना चाहती है ,तो मुसलमान उसके प्रयास की सफलता के लिए सहायता भी कर सकते है।

मित्रो आप को जान कर आश्चर्य होगा की एक वक्त जिन्नाह ने गांधीजी को महात्मा और ईशु मशीह से तुलना किया था तब उसका पुर जोर विरोध हुआ था लेकिन बाद में जिन्नाह ने अपनी बात को पलट कर कहा था "गाँधी का चरित्र कितना भी निर्मल हो , मजहबी दृष्टी से वे मुझे किसी भी मुसलमान से ,चाहे वह चरित्रहीन ही क्यों न हो ,निकृष्ट ही दिखेंगे।

मित्रो विचारणीय प्रश्न यह की  मुस्लिम समुदाय कैसे इतना शक्ति शाली बन जाता है की वह अपने नेताओ पर इतना नियंत्रण रखने में सक्षम है ?

इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून का इस्लाम विरोध करता है उनका सबसे बड़ा उद्देश्य जनसंख्या बढ़ाना है यह एक इस्लामिक जनसंख्या जिहाद है। जिसकी शुरुआती प्रयास असम और बंगाल मे  मोहम्मद अली जिन्ना ने किया था अगर उनकी जनसंख्या बढ़ जाती है तो राजनीतिक रूप से सामाजिक रूप से धार्मिक रुप से यह मजबूत होते हैं तो इनका काम इनका मंतव्य उनका विचार ही सरकार पर थोपा जाएगा और उसको क्रियान्वित किया जाएगा जो कांग्रेस पिछली सरकारों में करती आई है। योगी जी ने बातें छेड़ी है  तो दूर तलक तो जाएगी  ही और यह राष्ट्रीय मुद्दा बनना जरूरी भी है जनसंख्या नियंत्रण कानून अगर ना बने तो हिंदुस्तान में भुखमरी आने में कोई देरी नहीं होगी। लोगों को देश मे अच्छा काम अच्छा खाना अच्छा शहर अच्छी सफाई  चाहिए तो  जनसंख्या नियंत्रण कानून बहुत ही जरूरी है, जिसका भारत के सभी नागरिकों को समर्थन करना चाहिए







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