chaitanya shree
क्या भारतीय पुलिस कर्मियों की दुर्दशा को ठीक करने की आवश्यकता नहीं है ?(मेरे विचार और सलाह माननीय प्रधानमंत्रीजी को )
मित्रो भारतीय पुलिस में कई सुधारो की आवश्यकता है , जिसे माननीय प्रधानमंत्री जी को विचार करने की आवश्यकता है। हमारे समाज में होटल , बंगले ,अथवा सम्पूर्ण हिल स्टेशन बनाने में करोड़ रुपये खर्च किये जाते है। मगर पुलिस के लिए अच्छे किस्म के बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने के लिये सरकार के पास कुछ लाख रुपये भी नहीं है, और अगर है भी तो सरकार उसे खरीदती क्यों नहीं है। जबकि भारत बुलेट प्रूफ निर्माण में अग्रणी देश है जो लगभग १०० देशो से ऊपर के देशो में निर्यात करता है। आम पुलिस कर्मी की दुर्दशा देखकर रोना आता है।एक सैनिक और एक सिपाही की मृत्यु हमरे सिस्टम पर काला धब्बा है ,कांग्रेस की नीतियों को दरकिनार करने की जरूरत है। राज्य सारकारे सिपाहियों के रहने एवं परिवार के पालन पोसन की व्यवस्था ठीक से नहीं कर पा रही है। अनेक वर्षो से सेवा कर रहे पुलिसकर्मी का वेतन १० हजार रुपये मासिक तक ही पहुच पाता है ,अभी कुछ वेतन आयोग की सिफारिशो से इनके वेतन में वृद्धि जरूर हुई होगी परन्तु ये नाकाफी है। लोग जो गलत कर्मो में लगे होते है उनकी आर्थिक इस्थिति का गलत फायदा उठाते है। उन्हें अच्छे पैसे एवं उनकी पारिवारिक इस्थिति को हमें ठीक करना होगा जिससे इनका उपयोग गलत लोग ना कर सके। यही कारन है आतंकवादी हमला करने से डरते नहीं है। हमें यदि वास्तव में आतंकवाद को समाप्त करना है तो पुलिसवालों का जीवन स्तर सुधारने के लिये जनता जनार्दन को जी- तोड़ प्रयत्न करने पड़ेगे। क्या घूस के पैसे से इनका जीवन स्तर बढ़ सकता है ? सामाजिक तौर पर पुलिसकर्मियों को हीन भावना से देखा जाता है , जिसमे अच्छे पुलिसकर्मी भी समेट लिए जाते है, इसका मुख्य कारन हमारी राजनितिक व्यवस्था और राजनितिक चाटुकारिता है जिसे हमें समझना होगा और उसे दूर भी करना होगा। विभिन्न राज्यों के होम गार्ड्स का ही उदहारण लीजिए ये पुलिस अफसर के रहमो कर्म पर जीते है अगर ये घूस न दे तो इनकी नौकरी पर आफत बनी रहती है ,ये सब बंद होना चाहिए,कम पैसे पर सरकारी महकमा इनका शोषण करता है। मै कुछ सुझाव प्रधानमंत्री जी को देना चाहता हूँ जिस पर माननीय को गौर करना चाहिए :-
१ - भारत में आतंकवादी गतिविधियों को पकिस्तान के उच्च सैनिक कर्मी अमलीजामा पहनाते है जसका सामना हमारे देश के निम्न पुलिस कर्मियों को करना पड़ता है क्या हम इसके लिए तैयार है ,ये पूर्णरूपेण असमान युद्ध जान पड़ता है क्या हम अपने राज्यों के पुलिस व्यवस्था को अर्धसैनिक बल की तरह चुस्त - दुरुश्त नहीं कर सकते ?क्या हम एक क्रूर सेना के अपेक्षा एक साधारण पुलिस वाले के प्राण दाव पर नहीं लगा रहे , माननीय को इसपर विचार करना होगा।
२ - माननीय से आग्रह होगा की साधारण से साधारण पुलिसकर्मी को आधुनिक शस्त्र का ट्रेनिंग देकर लैस करना ,भरपूर वेतन से लैश करना व् उनके परिवार जानो को बिमा सुरक्षा से लैश करना अति आवश्यक है ,बैरक में रह रहे पुलिसकर्मियो को परिवार के साथ रहने का शहरो में रहने के लिए समुचित व्यवस्था हो। आम पुलिसकर्मियो को आतंक से लड़ने का ट्रेनिंग देना और अत्याधुनिक बुलेट प्रूफ से लैश करना भी अति आवश्यक है। माननीय सभी राज्यों को प्रमुखों को बुलाकर इन विषयो पर चर्चा करे और क्रियान्वित करे।
३ - क्या हमारी पुलिस व्यवस्था रेप जैसे जघन्य घटनाओ का जांच करने में समर्थवान है ? मेरा जवाब नहीं में होगा माननीय, १९७९ के राष्ट्रीय पुलिस कमीशन रिपोर्ट में टिप्पिणि की गयी है की हमें मोस्ट एडुकेटेड & प्रोफ़ेशनल सिक्योरिटी फ़ोर्स की जरूरत है जो दिन रात अलग-अलग शिफ्टों में काम करे ,और इन्हे इतना पेंमेंट कीजिये की वो समाज में गलत लोगो के प्रभाव में न आ सके और रेप जैसे जघन्य अपराध की जांच को प्रभावित ना होने दे। माननीय हरेक अपराधों के लिए अलग -अलग प्रोफेसनल एक्सपर्ट्स की नियुक्ति थानों में होनी चाहिए यही समय की मांग है। अभी जिस तरह का सिस्टम चल रहा है वो नाकाफी है (एक तरह का थूक पॉलिस ) , एक उदहारण के रूप में मै आपको समझने की कोशिश करता हूँ, जैसे एक सब इंस्पेक्टर को कार चोरी का केस सौपा जाता है ,ठीक दूसरे दिन आर्थिक घोटाले का केस और तीसरे दिन रेप की घटना का और कुछ देर बाद वी आई पी सिक्योरिटी के लिए भेज दिया जाता है ,सवाल ,क्या एक व्यक्ति इन सारी घटनाओ की जांच एक साथ कर सकता है ,इसकेलिए हमें प्रोफ़ेशनल स्किल की जरूरत पड़ेगी जो हमारे देश के थानों में उपलब्ध नहीं है। इन हरेक कामो में अलग-अलग एक्सपर्ट की जरूरत पड़ती है जो हमारे पास नहीं है। माननीय इस विषय पर विचार करे।
४-माननीय हमें स्पेशल ट्रेंड लाइसेंस होल्डर फोरसेनिक डॉक्टर्स और नर्सेज की भी जरूरत है जो साक्छ पर गहन अध्ययन कर मुजरिम को कटघरे में खड़ा कर जेल भेज सके। जो एक मामूली MBBS मेडिकल डॉक्टर्स नहीं कर सकते।
५ - दुश्मनो द्वारा रेडियोलॉजिकल बम का प्रयोग के आशंकाओं को नहीं टाला जा सकता है , अणुबम बनाने में जो यूरेनियम और प्लूटोनियम प्रयुक्त होता है उसे कच्चे स्वरुप में प्रयुक्त कर रेडियोलॉजिकल बम तैयार किया जाता है , उसे मोटर के डिक्की में आसानी से रक्खा जा सकता है ,उसके विस्फोट से होने वाले विकीरण से लाखो अथवा कम से कम हज़ारो लोग तो मर ही सकते है। इस हमले से बचने के लिए हमारे छोटे -बड़े शहरो में पुलिस के लिए विशेष प्रकार का मास्क उपलब्ध नहीं है और विशेष प्रकार का हमारे पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण भी नहीं है, माननीय इस पर तत्काल विचार कीजिये। हमारा चिकित्सा विभाग भी इस विषय पर तैयार नहीं है ,इसके लिए नए विभाग और चिकित्सक तैयार करने की जरूरत है।
६ -आतंकवाद से लड़ाई के लिए हमारे देश की निति पिछड़ी हुई है , हमारे देश की पुलिस व्यवस्था इससे लड़ने में सक्षम नहीं है , राज्यों को इनसे निपटने के लिए अर्ध सैनिक बलो पर निर्भर रहना पड़ता है ,इसके लिए इन्हे आत्म निर्भर बनाने की आवश्यकता है ,राज्यों की पुलिस गुप्तचर व्यवस्था भी आतंकी घटनाओ को नेस्तनाबूत कर सकती है लेकिन राज्यों की निर्भरता राष्ट्रिय गुप्तचर व्यवस्था पर टिकी रहती है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है। हमारे राज्य के पुलिस गुप्तचर व्यवस्था को (के जी बी , व् मोसाद ) के तौर तरीके पर चलाने की आवश्यकता है। आतंकवादी युवको के मोबाइल की चुपचाप टोह लेकर और आवाज़ का विश्लेषण कर उन्हें फ़साने में सक्षम ऐसे अनेक उपकरण अंतराष्ट्रीय बाज़ारो में उपलब्ध है , जिन्हे खरीद कर राज्यों के पुलिस गुप्तचर व्यवस्था को देना चाहिए जिससे उनके हाथ मजबूत किये जा सकते है, और आतंकी घटनाओ पर काबू पाया जा सकता है।
माननीय ये कुछ बिंदु है जिस पर विचार करने की आवश्यकता है ,जिससे हमारे देश के राज्यों की विधि व्यवस्था चुस्त - दुरुश्त हो सकती है, राष्ट्र रीढ़ मजबूत हो सकती है।
आपका कार्यकर्ता
चैतन्य श्री
१ - भारत में आतंकवादी गतिविधियों को पकिस्तान के उच्च सैनिक कर्मी अमलीजामा पहनाते है जसका सामना हमारे देश के निम्न पुलिस कर्मियों को करना पड़ता है क्या हम इसके लिए तैयार है ,ये पूर्णरूपेण असमान युद्ध जान पड़ता है क्या हम अपने राज्यों के पुलिस व्यवस्था को अर्धसैनिक बल की तरह चुस्त - दुरुश्त नहीं कर सकते ?क्या हम एक क्रूर सेना के अपेक्षा एक साधारण पुलिस वाले के प्राण दाव पर नहीं लगा रहे , माननीय को इसपर विचार करना होगा।
२ - माननीय से आग्रह होगा की साधारण से साधारण पुलिसकर्मी को आधुनिक शस्त्र का ट्रेनिंग देकर लैस करना ,भरपूर वेतन से लैश करना व् उनके परिवार जानो को बिमा सुरक्षा से लैश करना अति आवश्यक है ,बैरक में रह रहे पुलिसकर्मियो को परिवार के साथ रहने का शहरो में रहने के लिए समुचित व्यवस्था हो। आम पुलिसकर्मियो को आतंक से लड़ने का ट्रेनिंग देना और अत्याधुनिक बुलेट प्रूफ से लैश करना भी अति आवश्यक है। माननीय सभी राज्यों को प्रमुखों को बुलाकर इन विषयो पर चर्चा करे और क्रियान्वित करे।
३ - क्या हमारी पुलिस व्यवस्था रेप जैसे जघन्य घटनाओ का जांच करने में समर्थवान है ? मेरा जवाब नहीं में होगा माननीय, १९७९ के राष्ट्रीय पुलिस कमीशन रिपोर्ट में टिप्पिणि की गयी है की हमें मोस्ट एडुकेटेड & प्रोफ़ेशनल सिक्योरिटी फ़ोर्स की जरूरत है जो दिन रात अलग-अलग शिफ्टों में काम करे ,और इन्हे इतना पेंमेंट कीजिये की वो समाज में गलत लोगो के प्रभाव में न आ सके और रेप जैसे जघन्य अपराध की जांच को प्रभावित ना होने दे। माननीय हरेक अपराधों के लिए अलग -अलग प्रोफेसनल एक्सपर्ट्स की नियुक्ति थानों में होनी चाहिए यही समय की मांग है। अभी जिस तरह का सिस्टम चल रहा है वो नाकाफी है (एक तरह का थूक पॉलिस ) , एक उदहारण के रूप में मै आपको समझने की कोशिश करता हूँ, जैसे एक सब इंस्पेक्टर को कार चोरी का केस सौपा जाता है ,ठीक दूसरे दिन आर्थिक घोटाले का केस और तीसरे दिन रेप की घटना का और कुछ देर बाद वी आई पी सिक्योरिटी के लिए भेज दिया जाता है ,सवाल ,क्या एक व्यक्ति इन सारी घटनाओ की जांच एक साथ कर सकता है ,इसकेलिए हमें प्रोफ़ेशनल स्किल की जरूरत पड़ेगी जो हमारे देश के थानों में उपलब्ध नहीं है। इन हरेक कामो में अलग-अलग एक्सपर्ट की जरूरत पड़ती है जो हमारे पास नहीं है। माननीय इस विषय पर विचार करे।
४-माननीय हमें स्पेशल ट्रेंड लाइसेंस होल्डर फोरसेनिक डॉक्टर्स और नर्सेज की भी जरूरत है जो साक्छ पर गहन अध्ययन कर मुजरिम को कटघरे में खड़ा कर जेल भेज सके। जो एक मामूली MBBS मेडिकल डॉक्टर्स नहीं कर सकते।
५ - दुश्मनो द्वारा रेडियोलॉजिकल बम का प्रयोग के आशंकाओं को नहीं टाला जा सकता है , अणुबम बनाने में जो यूरेनियम और प्लूटोनियम प्रयुक्त होता है उसे कच्चे स्वरुप में प्रयुक्त कर रेडियोलॉजिकल बम तैयार किया जाता है , उसे मोटर के डिक्की में आसानी से रक्खा जा सकता है ,उसके विस्फोट से होने वाले विकीरण से लाखो अथवा कम से कम हज़ारो लोग तो मर ही सकते है। इस हमले से बचने के लिए हमारे छोटे -बड़े शहरो में पुलिस के लिए विशेष प्रकार का मास्क उपलब्ध नहीं है और विशेष प्रकार का हमारे पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण भी नहीं है, माननीय इस पर तत्काल विचार कीजिये। हमारा चिकित्सा विभाग भी इस विषय पर तैयार नहीं है ,इसके लिए नए विभाग और चिकित्सक तैयार करने की जरूरत है।
६ -आतंकवाद से लड़ाई के लिए हमारे देश की निति पिछड़ी हुई है , हमारे देश की पुलिस व्यवस्था इससे लड़ने में सक्षम नहीं है , राज्यों को इनसे निपटने के लिए अर्ध सैनिक बलो पर निर्भर रहना पड़ता है ,इसके लिए इन्हे आत्म निर्भर बनाने की आवश्यकता है ,राज्यों की पुलिस गुप्तचर व्यवस्था भी आतंकी घटनाओ को नेस्तनाबूत कर सकती है लेकिन राज्यों की निर्भरता राष्ट्रिय गुप्तचर व्यवस्था पर टिकी रहती है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है। हमारे राज्य के पुलिस गुप्तचर व्यवस्था को (के जी बी , व् मोसाद ) के तौर तरीके पर चलाने की आवश्यकता है। आतंकवादी युवको के मोबाइल की चुपचाप टोह लेकर और आवाज़ का विश्लेषण कर उन्हें फ़साने में सक्षम ऐसे अनेक उपकरण अंतराष्ट्रीय बाज़ारो में उपलब्ध है , जिन्हे खरीद कर राज्यों के पुलिस गुप्तचर व्यवस्था को देना चाहिए जिससे उनके हाथ मजबूत किये जा सकते है, और आतंकी घटनाओ पर काबू पाया जा सकता है।
माननीय ये कुछ बिंदु है जिस पर विचार करने की आवश्यकता है ,जिससे हमारे देश के राज्यों की विधि व्यवस्था चुस्त - दुरुश्त हो सकती है, राष्ट्र रीढ़ मजबूत हो सकती है।
आपका कार्यकर्ता
चैतन्य श्री
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