Sunday, 20 December 2015

chaitanya shree हिन्दू समाज के लिए बुद्धिजीवी पहल करे। भाग -१

chaitanya shree हिन्दू समाज के लिए बुद्धिजीवी पहल करे। भाग -१

हिंदू समाजिक - व्यवस्था का आधार कौटुम्बिक है ,जो "सर्वे भवन्तु सुखिनः "तथा समता व् समरसता पर आधारित है। ईर्ष्या व् द्वेष की भावना का इस व्यवस्था में कोई स्थान नहीं है। अतः हिन्दू समाज के विचारवान व् संवेदनशील महानुभावो तथा समाज सेवियों से आग्रह है कि हज़ार साल की गुलामी की विवशताओं के कारण उपजे दोषो को समाज की स्वाभाविक इस्थिति न माने। अपनी मानसिक दुर्बलताओं को त्यागे। विदेशियो द्वारा फैलाए गए भ्रमो से मुक्त होकर समाज को सहज व् स्वाभाविक अवस्था में लाने का प्रयास करे।
                                अपनी किताब "अछूत कौन ,कैसे "नामक पुस्तक में डा अम्बेडकर लिखते है ," चार सौवीं ईश्वी शताब्दी तक हिन्दू समाज व्यवस्था से अस्पृश्यता के प्रमाण नहीं मिलते यह दोष ४०० वी शताब्दी के बाद की देन है " डॉ अम्बेडकर आगे लिखते है "भ्रम वश कुछ लोगो ने अपवित्रता व् छुआछूत को एक ही मान लिया जबकि दोन्हो में महान अंतर है। "
                                  राजनीतिक नेताओ से आग्रह है कि समाज की मजबूरियों का दोहन न करे ,समाज में अपनत्व पैदा करने का प्रयास करे ,घृणा का भाव जगाने से बाज़ आये ,बिहार में मतदान का आधार भी यही रहा है ,घृणा का भाव जगाने में वहाँ के नेता सफल रहे , जिस कारण से वहाँ का समाज छिन्न -भिन्न हो चुका है। समाज द्रोहियो व् विदेशी शक्तियों के हाथ का खिलौना न बने और समाज की कीमत पर सत्ता सुख भोगने का मोह त्यागे।
                                    मित्रो आज हमारा समाज विदेशी लेखको को प्रमाणित करता है व् उनकी दुष्प्रचारों पर अपनी मुहर लगाता है क्या हमारे देश के बुद्धिजीवी इन दुष्प्रचारों पर अंकुश लगाने की प्रतिबद्धता प्रकट नहीं कर सकते। अंग्रेजो द्वारा शिक्षित बुद्धिजीवी वर्ग व् राजनेताओ से सावधान व् सतर्क रहने की आवश्यकता है , यह वर्ग हीनभावना से ग्रसित और स्वाभिमान में शून्य है ,इन्हे अपने समाज में बुराई -ही -बुराई नज़र आती है , समाज की अच्छाई व् विशेषताओ की ओर से इसने आँखे बंद कर रक्खी  है और उससे मुँह फेर रक्खा  है।

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