Wednesday, 23 September 2015

नमन करूँ मैं / रामधारी सिंह "दिनकर"(जन्मदिनशुभेच्छाः )

chaitanya shree
तुझको या तेरे नदी, गिरि, वन को नमन करूँ मैं।
मेरे प्यारे देश! देह या मन को नमन करूमैं?
किसको नमन करूँ मैं भारत, किसको नमन करूँ मैं?

भारत नहीं स्थान का वाचक, गुण विशेष नर का है,
एक देश का नहीं शील यह भूमंडल भर का है।
जहाँ कहीं एकता अखंडित, जहाँ प्रेम का स्वर है,
देश-देश में वहाँ खड़ा भारत जीवित भास्वर है!
निखिल विश्व की जन्म-भूमि-वंदन को नमन करूँ मैं?
किसको नमन करूँ मैं भारत! किसको नमन करूँ मैं?

उठे जहाँ भी घोष शान्ति का, भारत स्वर तेरा है,
धर्म-दीप हो जिसके भी कर में, वह नर तेरा है।
तेरा है वह वीर, सत्य पर जो अड़ने जाता है,
किसी न्याय के लिए प्राण अर्पित करने जाता है।।
मानवता के इस ललाट-चंदन को नमन करूँ मैं?
किसको नमन करूँ मैं भारत! किसको नमन करूँ मैं?
(दादा के जन्म दिन के शुभ  अवसर पर आप सभी मित्रो को उनकी लिखी कविता मित्रो को समर्पित )

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