Monday, 20 July 2015

भूमि अधिग्रहण कानून मोदी के ठोस कदम

chaitanya shree          
 भूमि अधिग्रहण कानून मोदी के ठोस कदम 
प्रधानमन्त्री मोदीजी के सरकार की इस पहल से कांग्रेस और विपक्ष की राजनितिक जमीन डावाडोल होने के कारन विपक्ष एकता का नाटक कर किसानो के पक्षधर दिखाने का दिखावा कर रही है। मित्रो आप लोगो को मालूम होगा की कृषि का भारतीय अर्थव्यवस्था के  साथ और कृषक का भारतीय समाज के साथ अनन्य सम्बन्ध है ,मोदीजी भूमि  अधिग्रहण बिल में किसानो के व्यापक हितो की रक्षा के साथ-साथ  देश में जन जन तक और प्रत्येक क्षेत्र तक विकाश कार्यो को गति देना चाहते है ,जो मोदीजी के मेकिंग इंडिया  अभियान का  एक बहुत ही बड़ा हिस्सा है। मित्रो आप ही बताये क्या हम कल कारखाने ,नहर ,सड़क या बिजलीघर हवा में बनाएंगे ? आपका उत्तर होगा नहीं। इसकेलिए हमें जमीन  की जरूरत पड़ेगी , जमीन कहा से आएगी जिसका  उत्तर विपक्ष के पास नहीं है ,देश की सरकार को भ्रस्टाचार का पर्याय बना चूका कांग्रेस की संप्रंग अब मुद्दे के अभाव में किसानो के हितो के नाम पर धरने -प्रदर्शन कर घड़ियाली आंसू बहा कर उनकी लगातार खिसकती जा रही जमीन का प्रमाण दे रहा है। 
मित्रो नए विधेयक में किये गए मुख्य संसोधन और पुराने कानून से उसकी भिन्नता इस   प्रकार है। नए विधेयक में ७० -८० प्रतिशत लोगो की सहमति और सामाजिक प्रभाव -आकलन की अनिवारियता को पांच श्रेणियों के आदिग्रहण के लिए समाप्त कर दिया गया है , ये पांच श्रेणियाँ है -
१। राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा उत्पादन (मेक इन इंडिया का एक सबसे अहम पहलू ,भारत का सालाना रक्षा आयत खर्च ही एक लाख करोड़ रूपए से अधिक है। 
२। ग्रामीण आधारभूत ढांचा  और ग्रामीण विद्युतीकरण ,
३। आधारभूत ढाचा और सामाजिक आधारबूत ढांचा 
४। औद्यौगिक कॉरिडोर 
५। गरीबो के लिए आवास योजना 
(इन सभी के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया गया है )
विपक्ष और मीडिया के एक वर्ग ने यह गलत धरना प्रचारित की है की नए विधेयक में ७० -८० प्रतिशत लोगो की सहमति का पक्ष समाप्त कर दिया गया है वास्तव में ऊपर बताये गए पांच बातो और उन पी पी पी परियोजनाओं को छोड़ कर ,जिनका स्वामित्व सरकार का होगा ,यह अनिवार्यता समाप्त नहीं की गई है। प्राइवेट सेक्टर के औद्योगिक सस्थानो को ७० -८० प्रतिशत लोगो की सहमति का पक्ष या सामाजिक प्रभाव -आकलन की अनिवार्यता पूरी तरह होगी। 
  मित्रो मै मानता हूँ की यह बिल भारत के भविष्य, आर्थिक प्रगति ,किसानो की आर्थिक प्रगति वाला बिल है। हमे घड़ियाली आंसू बहाने वाले राजनितिक पार्टिओ  से बचना  होगा तभी हमारा देश प्रगति की रह पर चल सकेगा। 
                                                                      आपका चैतन्य श्री 

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