कांग्रेसी अश्वत्थामा के नाम
पराजय की हताशा मे पांडवों की हत्या के लिए व्याकुल जराजीर्ण कुटिल धृतराष्ट्र के समान मरणासन्न कांग्रेस नरेन्द्र मोदी को फँसाने के लिए न्यायलय ढूंढ रही है, और न्यायिक प्रकरण को प्रारम्भ करने के पूर्व ही अपने पुराने ढिंढोरची सिब्बल के माध्यम से न्यायलय का फैसला भी सुना रही है. लगता है , लगता है , कांग्रेस मे एक भी विवेकशील प्राणी शेष नहि बचा। इसकी आशा भी नहीं करनी चाहिए। क्योकि माफिया शब्द गढ़ कर देना ही वैश्विक स्तर पर जिस देश का योगदान है , उस देश के डेढ़ इटालियन , फुल इटालियन सोनिया माइनो और हाफ इटालियन राहुल बाबा इस कांग्रेस का नेतृत्व जो कर रहे है। लगता है स्वर्गीय इंद्रा जी की चिरपोषित प्रतिबद्ध न्यायपालिका (committed judiciary )की अभिलाषा को उनके मरणोपरांत उन्का पौत्र राहुल अपने चमचो के सहयोग से मानो पूरा करने जा रहा हो।
चुनाव के अवसर पर आचार संहिता लागू है। अतः इस अवधि में मंत्रिमंडल के पूर्व निर्णय को नए सिरे से संशोधित कर न्यायलय मे जाना आचार संहिता का गम्भीर उलंघन होगा। लगता है की प्रतिशोध की आच मे जल रही कांग्रेस का बुद्धी नाश हो गया है। किन्तु भारतीय न्यायपालिका क विवेक शाष्वत है। भारतीय इतिहास के क्रूरतम पात्र अश्वथामा सदृश्य कांग्रेस के हाथ का उकरण बनने से इस राष्ट्र की न्यायपालिका का विगत ६ महीने से इन्कार इसका ठोस परिणाम है।
कांग्रेसी अश्वथामा ? तुम्हारी औकात क्या है , जो भारतीय न्यायव्यवस्था को तुम डिगा सको।
पराजय की हताशा मे पांडवों की हत्या के लिए व्याकुल जराजीर्ण कुटिल धृतराष्ट्र के समान मरणासन्न कांग्रेस नरेन्द्र मोदी को फँसाने के लिए न्यायलय ढूंढ रही है, और न्यायिक प्रकरण को प्रारम्भ करने के पूर्व ही अपने पुराने ढिंढोरची सिब्बल के माध्यम से न्यायलय का फैसला भी सुना रही है. लगता है , लगता है , कांग्रेस मे एक भी विवेकशील प्राणी शेष नहि बचा। इसकी आशा भी नहीं करनी चाहिए। क्योकि माफिया शब्द गढ़ कर देना ही वैश्विक स्तर पर जिस देश का योगदान है , उस देश के डेढ़ इटालियन , फुल इटालियन सोनिया माइनो और हाफ इटालियन राहुल बाबा इस कांग्रेस का नेतृत्व जो कर रहे है। लगता है स्वर्गीय इंद्रा जी की चिरपोषित प्रतिबद्ध न्यायपालिका (committed judiciary )की अभिलाषा को उनके मरणोपरांत उन्का पौत्र राहुल अपने चमचो के सहयोग से मानो पूरा करने जा रहा हो।
चुनाव के अवसर पर आचार संहिता लागू है। अतः इस अवधि में मंत्रिमंडल के पूर्व निर्णय को नए सिरे से संशोधित कर न्यायलय मे जाना आचार संहिता का गम्भीर उलंघन होगा। लगता है की प्रतिशोध की आच मे जल रही कांग्रेस का बुद्धी नाश हो गया है। किन्तु भारतीय न्यायपालिका क विवेक शाष्वत है। भारतीय इतिहास के क्रूरतम पात्र अश्वथामा सदृश्य कांग्रेस के हाथ का उकरण बनने से इस राष्ट्र की न्यायपालिका का विगत ६ महीने से इन्कार इसका ठोस परिणाम है।
कांग्रेसी अश्वथामा ? तुम्हारी औकात क्या है , जो भारतीय न्यायव्यवस्था को तुम डिगा सको।
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