Thursday, 2 January 2014

क्या १०० साल से पुराणी कांग्रेस कि इस्थिति, खाट पे सोये मरणासन्न सी हो गयी है ?

chaitanya shree क्या १०० साल से पुराणी कांग्रेस कि इस्थिति,  खाट पे सोये मरणासन्न सी हो गयी है ?
 कोंग्रेस को  मरणासन्न कि इस्थिति में देख कर ऐसा लगता है  कही न कही गहरे विवाद कि गूँज  तो है ही और राजनितिक सुचिता के स्तर को ऊचा उठाने  कि चुनौती भी है ,जिसका उदहारण पीछले विधान सभा इलेक्शन में देखने को मिला। यह भारतीय जनता पार्टी के लिये शुभ संकेत है  , इसके लिए भारतीय जनता पार्टी को  अपने स्पष्ट सिद्धांत ,स्वक्ष विकल्प ,और स्वस्थ लोकतंत्र कि ऊर्जा कि कसौटी पर हर वक्त खरा उतरते रहना होगा , जिसका उधारण बी जे पी गुजरात ,मध्य प्रदेश, छतीशगढ ,राजस्थान ,दिल्ली जैसे प्रदेशो में देती रही है.
मै यह मानता हु कि आज का मतदाता राजनितिक समझ कि परिपक्व राह पर चल पड़ा है , देश का राज किसी को पिताजी कि विरासत कि तरह पीढ़ी दर पीढ़ी मिलेगा यह सोचने वालो के  दिन अब लद  गए.समय का चक्र कितना बलवान है जो कम रोचक नहीं है  जिस जगह पर योग गुरु रामदेव के आंदोलन से बौखला कर जिस कांग्रेस सरकार ने जिस रामलीला मैदान में जनता पर आधी रात लाठिया बरसाई थी वही मैदान भ्रस्टाचारी कांग्रेस शासन को मुखाग्नि भी दी। देश भर में भाजपा कि लहर से भयभीत कांग्रेस आज अंततः उसी आम आदमी पार्टी से सट कर खड़ी दिखने कि हताश कोशिश  कर रही जिसकी दुर्गति करने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी।
अंत में यह जरूर कहूंगा जिस तरह से बहादुरशाह  जफ़र के  अंत के साथ मुग़ल कालीन काल ख़त्म हुआ था ठीक  उसी तरह राहुल गांधी के साथ कांग्रेस का काल खंड ख़त्म हो रहा है  , भ्रस्टाचार पर ताकतवर प्रहार और तुस्टीकरण कि राजनीती पर आज के युवाओ ने प्रहार किया है जिस कारन कांग्रेस चारो खाने चित नजर आ रही है और मोदी युग का उदय हो रहा है।       

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