पाकिस्तान का सच (भाग ४ )
पाकिस्तान में सेनापति ,मौलवी और आतंकवादी संगठन का ऐसा जाल बुन हुआ है की स्वतंत्रापूर्व काल के ब्रिटिशराज का अस्मरण होता है। कुछ मुट्ठी भर लोग ऐश कर रहे है। शेष पाकिस्तानी समाज को उन्होंने बंधक बना रखा है। अंग्रेजो ने हमलोगों को जिस तरह से दोयम दर्जे का नागरिक बना रखा था ,वैसे ही पाकिस्तानी हुक्मरान भी अपने नागरीको को दोयम अस्थान पर रखते है और भारत विरोधी प्रचार कर उनमे भय निर्माण करते है। आज सरे भारत में हो रहे आतंकवादी हमले और भी बढ़ेगे तथा अधिक प्रखर भी होंगे।
पाकिस्तानी शासक भारत की ओर केवल एक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में नहीं देखते , वह तो उनके लिये पाकिस्तान की जनता पर दवाब डालने का ,उनको गुलाम बनाये रखने का , उनको भय की अँधेरी कोठारी में बंद रखने का साधन है। उनका विरोध केवल भारत के लिये नहीं है। जहा- जहा इंसानियत है - भारत में , पाकिस्तान में अथवा दुनिया के किसी अन्य भाग में , उस इंसानियत से उनका विरोध है। भारत में यदि वास्तव में पाकिस्तानी आतंकवादी हमले रोकने की इक्षा और हिम्मत है तो भटके हुए युवको और खोखले धार्मिक संगठनो के पीचे समय गवाने के बजाय उसे रावलपिंडी में सेना के प्रमुख कार्यालय में बैटा उसके सूत्रधारो पर प्रहार करने की जरूरत है। आपकी वास्तविक टक्कर कुटिल पाकिस्तानी सेना के साथ है, यह पूर्णतया समझ लेना आवश्यक है।
पाकिस्तान में सेनापति ,मौलवी और आतंकवादी संगठन का ऐसा जाल बुन हुआ है की स्वतंत्रापूर्व काल के ब्रिटिशराज का अस्मरण होता है। कुछ मुट्ठी भर लोग ऐश कर रहे है। शेष पाकिस्तानी समाज को उन्होंने बंधक बना रखा है। अंग्रेजो ने हमलोगों को जिस तरह से दोयम दर्जे का नागरिक बना रखा था ,वैसे ही पाकिस्तानी हुक्मरान भी अपने नागरीको को दोयम अस्थान पर रखते है और भारत विरोधी प्रचार कर उनमे भय निर्माण करते है। आज सरे भारत में हो रहे आतंकवादी हमले और भी बढ़ेगे तथा अधिक प्रखर भी होंगे।
पाकिस्तानी शासक भारत की ओर केवल एक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में नहीं देखते , वह तो उनके लिये पाकिस्तान की जनता पर दवाब डालने का ,उनको गुलाम बनाये रखने का , उनको भय की अँधेरी कोठारी में बंद रखने का साधन है। उनका विरोध केवल भारत के लिये नहीं है। जहा- जहा इंसानियत है - भारत में , पाकिस्तान में अथवा दुनिया के किसी अन्य भाग में , उस इंसानियत से उनका विरोध है। भारत में यदि वास्तव में पाकिस्तानी आतंकवादी हमले रोकने की इक्षा और हिम्मत है तो भटके हुए युवको और खोखले धार्मिक संगठनो के पीचे समय गवाने के बजाय उसे रावलपिंडी में सेना के प्रमुख कार्यालय में बैटा उसके सूत्रधारो पर प्रहार करने की जरूरत है। आपकी वास्तविक टक्कर कुटिल पाकिस्तानी सेना के साथ है, यह पूर्णतया समझ लेना आवश्यक है।
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