chaitanya shree सिंघासन (भाग -५ )
सिंघासन पर अंकुश रखना जनता के हाथ में है और सर्वसामान्य नागरीको के लिये भी यह सहज संभव है। मगर नेताओ के पास स्वैम के निजी काम लेकर जाना बंद करना हमारा कर्त्तव्य है और उनसे विधानिक और सार्वजानिक कार्य का विवरण मांगना हमारा अधिकार। नेताओ को लोकाभिमुख विवहार करने के लिये बाध्य करना सहज संभव है। हमें चुनावी घोसना -पत्र ध्यानपूर्वक अध्यन करना चाहिये। उसे संभाल कर रखते हुए प्रतिवर्ष जन प्रतिनिधि को पत्र लिखकर उनके द्वारा न किये गये कार्यो के लिये नम्रतापूर्वक अस्पस्तीकरण प्राप्त करना चाहिये। अच्चे संगटन के नेताओ की आवाज़ को कैसे चुप किया जाता है यह भ्रष्ट नेता अच्छी तरह से जानते है। प्रत्येक जन प्रतिनिधि को यदि उसके जिले से प्रतिवर्ष हजारो पत्र और इ-मेल आने लगेंगे , तो वह भी कुछ उत्तर देनो को बाध्य हो जायेगा।
जनप्रतिनिधि का कार्य किसी विसीशिस्ट विभाग में सुधार लाना तथा विधायिका में कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेना होता है। आपके बेटो को नौकरी दिलाना अथवा आपके भाई का तबादला करवाना उसका काम नहीं है। जब हम विधयाको अथवा सांसदों के पास अपने स्वैम के वैक्तिगत काम लेकर जाना बंद कर देंगे तभी हम उनसे सार्वजानिक कामो के लिये अस्पश्तिकरण प्राप्त करने की हिम्मत जुटा सकेंगे। इसकेलिये हमे राजनितिक नेताओ में नहीं राजनीती में रुचि लेनी पड़ेगी। राजनीती में सकारात्मक और नकारात्मक दोन्हो प्रवृति के लोग है।
सिंघासन पर अंकुश रखना जनता के हाथ में है और सर्वसामान्य नागरीको के लिये भी यह सहज संभव है। मगर नेताओ के पास स्वैम के निजी काम लेकर जाना बंद करना हमारा कर्त्तव्य है और उनसे विधानिक और सार्वजानिक कार्य का विवरण मांगना हमारा अधिकार। नेताओ को लोकाभिमुख विवहार करने के लिये बाध्य करना सहज संभव है। हमें चुनावी घोसना -पत्र ध्यानपूर्वक अध्यन करना चाहिये। उसे संभाल कर रखते हुए प्रतिवर्ष जन प्रतिनिधि को पत्र लिखकर उनके द्वारा न किये गये कार्यो के लिये नम्रतापूर्वक अस्पस्तीकरण प्राप्त करना चाहिये। अच्चे संगटन के नेताओ की आवाज़ को कैसे चुप किया जाता है यह भ्रष्ट नेता अच्छी तरह से जानते है। प्रत्येक जन प्रतिनिधि को यदि उसके जिले से प्रतिवर्ष हजारो पत्र और इ-मेल आने लगेंगे , तो वह भी कुछ उत्तर देनो को बाध्य हो जायेगा।
जनप्रतिनिधि का कार्य किसी विसीशिस्ट विभाग में सुधार लाना तथा विधायिका में कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेना होता है। आपके बेटो को नौकरी दिलाना अथवा आपके भाई का तबादला करवाना उसका काम नहीं है। जब हम विधयाको अथवा सांसदों के पास अपने स्वैम के वैक्तिगत काम लेकर जाना बंद कर देंगे तभी हम उनसे सार्वजानिक कामो के लिये अस्पश्तिकरण प्राप्त करने की हिम्मत जुटा सकेंगे। इसकेलिये हमे राजनितिक नेताओ में नहीं राजनीती में रुचि लेनी पड़ेगी। राजनीती में सकारात्मक और नकारात्मक दोन्हो प्रवृति के लोग है।
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