chaitanya shree
जबतक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कश्मीर मुद्दे के सपनो को पूरा नहीं करेंगे तब तक हम उन्हें उचित श्रद्धांजलि नहीं दे सकेंगे
मित्रो मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय अमित शाह जी से सहमत हूँ की " डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के कार्यो व् आंदोलनों इत्यादी का उचित मूल्यांकन होना जरूरी है ,आज भी हम इन आंदोलनों को जारी रखे हुए है जो डॉ मुख़र्जी की ही देंन है, जो अभी तक भारत सरकार पूरा नहीं कर पाई है।मित्रो डॉ मुखर्जी जैसे जननायक ,महान शिक्षाविद ,राष्ट्रचिंतक और प्रभावी राजनेता का पुनःस्मरण भारतवासिओ के लिए हमेशा गौरव का विषय बन रहेगा।मित्रो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सर संघ चालक परम पूज्य गुरूजी के साथ गहन मंत्रणा करने के बाद उनके परामर्श पर २१ अक्टूबर १९५१ को दिल्ली में भारतीय जन संघ की स्थापना की और इसके पहले अध्यक्ष बने। मात्र ६ महीने में ३ लोकसभा सीट जीत कर व् अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक दल बनाया।
डॉ मुख़र्जी ने जो नारा दिया था "एक देश में दो विधान ,दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे " जिस नारे को हम अब भी लगा रहे है। जबतक हम उनके सपनो को पूरा नहीं करेंगे तब तक हम उन्हें उचित श्रद्धांजलि नहीं दे सकेंगे ,नेहरूजी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी इन्ही कारणों से दिया था क्योकि नेहरूजी ने पकिस्तान के प्रधानमन्त्री लियाकत अली खान को दिल्ली समझौते के लिए आमंत्रित किया था, जिस समझौते को हम आज भी झेल रहे है। डॉ मुखर्जी ने इस समझौते को तुष्टिकरण की निति और स्वयं को मुसलमानो के बीच आपने को चमकाने वाला बताया था। मित्रो डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के तीन मुद्दे थे जिसे हमें चरितार्थ करना होगा तभी हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते है १) समान नागरिक संहिता , २)गोवध पर रोक , ३) जम्मु कश्मीर को मुस्लिम राज्य होने के चलते संवैधानिक स्वायत्ता का विरोध शामिल था। डॉ मुखर्जी ने इन तीन मुद्दों पर देश में व्यापक माहौल बनाया था जिसमे उन्होंने धरा ३७० समेत मुस्लिम तुस्टीकरण की कांग्रेस की नीति का सांसद के बहार और अंदर डटकर विरोध करते रहे डॉ मुखर्जी ने कांग्रेस और शेख अब्दुल्लाह का विरोध इसलिए किया क्योकि "अपने ही देश के नागरीको को पहचान पत्र की बाध्यता के विधान को लागू कर दिया था, और देश को तोड़ने का षड़यंत्र बताया था। मित्रो डॉ श्यामा प्रसाद की अभी मृत्यु नहीं हुई है अभी भी उनके मुद्दे ज्वलंत है , जबतक आप और हम मिलकर इन मुद्दों को सही अंजाम तक नहीं पहुंचा देते तब तक डॉ साहब को हम सच्ची श्रद्धांजलि नहीं दे सकते
जय हिन्द चैतन्य श्री।
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