chaitanya shree जीतेगा राष्ट्रवाद हारेगा जातिवाद (भाग ३ )
मित्रो क्या आप को पता है श्री राम किस्से प्रेम करते थे ,आप अगर श्री राम को देखिए तो वो जटायु से दोस्ती करते है ,शूद्र है जटायु ,सुग्रीव से दोस्ती करते है , हनुमान से दोस्ती करते है ,इनकी जाती जंगली है ,वनवासी है , दलित है लेकिन राम को प्रिय है। हनुमानजी खुद अपने को बोलते है -
कहऊँ कवन मैं परम कुलीना।
कपि चंचल सबहि विधि हीना। .
प्रात लेइ जो नाम हमारा।
तेहि दिन ताहि न मिले अहारा।
हनुमान जी कहते है की मेरी कौन सी जाति है ,मै तो वो हूँ प्रातः काल जो मेरा नाम लेता है ,उसे दिन भर आहार नसीब नहीं होता है ,ऐसे अकुलीन हनुमानजी देवतत्व -शिवतत्व का विकास कर ब्राह्मण सिरमौर बन जाते है की सनातन धर्म में आज सबसे ज्यादा पूजा होती है तो वो हनुमानजी की होती है।
मै मानता हूँ की तथाकथित दलित लोग बुद्धू है जो ये कहते है कि मै क्या करूं ,मेरा सनातन धर्म में कोई स्थान ही नहीं है , अरे भाई आप ही का स्थान है ,हनुमानजी की पूजा होती है कौन है वो ? हनुमानजी , जटायु ,सुग्रीव, केवट ये सभी शूद्र थेलेकिन राम जी के प्रिय थे , लेकिन इन्होने ब्राह्मणत्व को प्राप्त किया ,,शबरी से श्री राम प्रेम करते थे , सबरी भील जाती की थी ,लेकिन अपने संस्कारो और कर्मो के द्वारा ब्राह्मणत्व के शिखर को को छु ली थी।
रावण ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था ,फिर भी श्री राम रावण को मार देते है ,क्योकि वह शूद्रत्व से भी नीचे गिर कर असुरत्व को प्राप्त किया था। अज्ञानी ,अशिक्षित ,पेट प्रजनन तक ही सीमित रहनेवाला को शूद्र कहते है जो किसी भी जाती का हो सकता है। किसी भी कुल में जन्म लिया हुआ व्यक्ति ब्राह्मणत्व को प्राप्त कर सकता है। मित्रो आपलोगो को लगता होगा की मै हर बार ब्राह्मणत्व की चर्चा करता हूँ इसलिए करता हूँ क्योकि ये ही सनातन का मूल है. और हम सब एक हो जाए और कोई धर्म हमें भेद न सके , कोई राजनितिक व्यक्ति हमें बाट कर अपना उल्लु सीधा ना करे सके।मित्रो हमें लोगो द्वारा गलत तर्कों से हिन्दूुओ को बाटने की कोशिश करते है लेकिन हम सभी को इसका पुर जोर विरोध करना है जिससे वे फूट डालो शासन करो की निति को न अपना सके.
मित्रो क्या आप को पता है श्री राम किस्से प्रेम करते थे ,आप अगर श्री राम को देखिए तो वो जटायु से दोस्ती करते है ,शूद्र है जटायु ,सुग्रीव से दोस्ती करते है , हनुमान से दोस्ती करते है ,इनकी जाती जंगली है ,वनवासी है , दलित है लेकिन राम को प्रिय है। हनुमानजी खुद अपने को बोलते है -
कहऊँ कवन मैं परम कुलीना।
कपि चंचल सबहि विधि हीना। .
प्रात लेइ जो नाम हमारा।
तेहि दिन ताहि न मिले अहारा।
हनुमान जी कहते है की मेरी कौन सी जाति है ,मै तो वो हूँ प्रातः काल जो मेरा नाम लेता है ,उसे दिन भर आहार नसीब नहीं होता है ,ऐसे अकुलीन हनुमानजी देवतत्व -शिवतत्व का विकास कर ब्राह्मण सिरमौर बन जाते है की सनातन धर्म में आज सबसे ज्यादा पूजा होती है तो वो हनुमानजी की होती है।
मै मानता हूँ की तथाकथित दलित लोग बुद्धू है जो ये कहते है कि मै क्या करूं ,मेरा सनातन धर्म में कोई स्थान ही नहीं है , अरे भाई आप ही का स्थान है ,हनुमानजी की पूजा होती है कौन है वो ? हनुमानजी , जटायु ,सुग्रीव, केवट ये सभी शूद्र थेलेकिन राम जी के प्रिय थे , लेकिन इन्होने ब्राह्मणत्व को प्राप्त किया ,,शबरी से श्री राम प्रेम करते थे , सबरी भील जाती की थी ,लेकिन अपने संस्कारो और कर्मो के द्वारा ब्राह्मणत्व के शिखर को को छु ली थी।
रावण ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था ,फिर भी श्री राम रावण को मार देते है ,क्योकि वह शूद्रत्व से भी नीचे गिर कर असुरत्व को प्राप्त किया था। अज्ञानी ,अशिक्षित ,पेट प्रजनन तक ही सीमित रहनेवाला को शूद्र कहते है जो किसी भी जाती का हो सकता है। किसी भी कुल में जन्म लिया हुआ व्यक्ति ब्राह्मणत्व को प्राप्त कर सकता है। मित्रो आपलोगो को लगता होगा की मै हर बार ब्राह्मणत्व की चर्चा करता हूँ इसलिए करता हूँ क्योकि ये ही सनातन का मूल है. और हम सब एक हो जाए और कोई धर्म हमें भेद न सके , कोई राजनितिक व्यक्ति हमें बाट कर अपना उल्लु सीधा ना करे सके।मित्रो हमें लोगो द्वारा गलत तर्कों से हिन्दूुओ को बाटने की कोशिश करते है लेकिन हम सभी को इसका पुर जोर विरोध करना है जिससे वे फूट डालो शासन करो की निति को न अपना सके.
जय हिन्द ,जय भारत
चैतन्य श्री
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