राजनीती की क्या परिभाषा होनी चाहिए आज के सन्दर्भ को देख कर समझना बहुत ही मुस्किल है . धर्म और राजनीती की क्या परिभाषा होनी चाहिये इस पर मेरा एक चिंतन है जिसको मै प्रकट कर रहा हू . धर्म का मतलब है - धारण करने योग्य छमा ,करुन, दया, परहित , ये सब धारण करने योग्य है अतः जो ये धारण करता है वह धार्मिक है. ऐसे में क्या राजनीती धर्म के साथ रह सकती है ? आज की परिस्तिती में ये नहीं हो सकता ह. .राजनीती ऐसे लोगो की भीड़ और बकवास होते जा रही है की जिन्हें अपने गिरेबा में झाकने में कोई दिलचस्पी नहीं परन्तु दूसरो के अच्छे काम भी उन्हे जहर लगते है. विश्व के सर्वश्रेस्ट निति करता चाणक्य ने जब राष्ट्र की कल्पना की तो उसमे राजनीती शब्द कही नहीं था .
भगवन श्री कृष्णा ने भी कभी नहीं कहा - मै हर युग में राजनीती की स्थापना करने आता हूँ . वह कहते है - मै धर्म की स्थापना और दुष्टों का नाश करने के लिये आता हूँ . भगवान् के वचन है "विनाशाए च दुष्कृताम " इसलिये आज का कांग्रेसी नेता धर्म से घबराया हुआ है . ये कांग्रेसी नेता एवं उनके दुम्च्ले को पता है जिस दिन राष्ट्र "धर्म प्राण " हुआ, राजनेता समाप्त हो जायेगा और उसे ऐसी जगह दफना दिया जायेगा, जहा से वह कभी निकल कर नहीं आ सके . इसी दर से उसने एक शब्द गढ़ लिया - धर्मनिरपेक्षता .
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ आप स्वयं जान ले - जो सारे मानवीय गुणों से विमुख हो, उसी को धम्निर्पेक्ष्ता कहा जाता है . इनकी नजर में धर्म क्या है, उसे देखे तो आप चमत्कृत हो जायेंगे . पुराणों के अनुस्वार ऐसे लोग साधारण नहीं होते या तो ये भ्रमज्ञानी होते है या परले दर्जे के मक्कार , अपशब्द बोलते है,, निंदा करते है , और स्वयं को सर्वश्रेष्ठ घोषित करते है . इस धर्मनिरपेक्षता की सदस्यता लीजिये और खास कर हिन्दू धर्म को गालिया दिजीये,राष्ट्रद्रोह , कीजिये सभी कार्य आपके छम्य है . आप अपराधी हो , तस्कर हो , घोटालेबाज हो , बदमाश हो , उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता . ६ ४ वर्षो से यही तमासा जारी है , सारे देश में संवेदनशील लोग घबरा गए है.
अब एक नई धर्मनिरपेक्षता कि शब्दावली आयी है सेक्युलर फंडामेंटलिस्ट ,हम सेक्युलर है पर फंडामेंटलिस्ट भी है , सोनिया गांधी कुछ अहम धार्मिक लोगो का वोट पाने के लिए उनका दरवाजा खटखटाकर इसका परिचय देती है , सास ने सेक्युलर शब्दवाली बनाया बहु ने सेक्युलर फंडामेंटलिस्ट का शब्द इजाद किया। चेली ममता क्रियान्वित कर रही है।
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