Thursday, 8 October 2015

लालूजी पढ़े -लिखे और सुसंस्कारी बने -सदाचारी बने ,काला अक्षर भैस बराबर न बने।

chaitanya shree लालूजी आपका बयान इतना भद्दा और बेतुका है जिसे बिहार की जनता पूरी तरह से नकारती है , रहा सवाल नरेंद्र मोदीजी की लिखित बातो का और मोहन भगवतजी के बयानों का उसका उत्तर मै  आपको देता हूँ।
ऋग्वेद ५ /६० /५ में कहा गया है -
                                                         अज्येष्ठासो अकनिष्ठास एते सम्भ्रान्तरो।
                                                      मनुष्यो में कोई बड़ा -छोटा नहीं है ,सभी भाई -भाई है।
जिस तरह से गंगा प्रदूषण से भरती  गयी , वैसे ही तथाकथित शूद्रो में में भी अशिक्षा ,आडम्बर ,धर्म ,के नाम पर बहुत से पागलपन ,रूढ़िवाद,गलत रीती रिवाज पनप गए , जैसे गंगा प्रदूषित हो गयी तो इसका अर्थ यह नहीं है की अछूत हो गयी , उसी तरह अगर शूद्र पिछड़ गए तो इसका मतलब यह नहीं है की वे अछूत हो गए। जितना पुण्य गंगा को साफ़ करने के लिए सहयोग देने में है ,उससे भी अधिक बढ़ कर पुण्य पिछड़े लोगो को ऊपर उठाने में है। उन्हें भी उठाओ ,उन्हें भी सहारा दो। मोदीजी की सोच यह है। लालूजी आपने यदुवंशियो को तो उठाया नहीं आप दलितों को क्या उठाएंगे ,नितीश द्वारा अति पिछड़ा वर्ग को प्रताड़ित करना यह जग जाहिर है , मैला धोने वाला व्यक्ति अशुद्ध नहीं है , जो व्यक्ति अशुद्ध को शुद्ध  किया हो  वह व्यक्ति अशुद्ध कैसे हो सकता है ,मोदी जी की सोच यह है , जहा तक मोहन भगवत जी का सवाल है उन्होंने आरक्षण की समीक्षा की बात की है जिसमे कोई बुराई नहीं है समीक्षा कर आरक्षण को और सुदृह बनाना मोहन भगवत जी की सोच है।

लालूजी तथाकथित समाज में द्वेष कर एक दुसरे को मारने-पीटने , गाला घोटने की इक्षा रखने से या अपनी शक्ति और ऊर्जा को वैमनस्य ,हत्या या बदले की भावना में खपाने से अच्छा है की आप   पढ़े -लिखे और सुसंस्कारी बने -सदाचारी बने ,काला अक्षर भैस बराबर न बने।

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