Tuesday, 14 July 2015

जातिवाद और राजनीति- भाग १

chaitanya shree  जातिवाद और राजनीति- भाग १                                                                  मित्रो लालू की राजनीति , मुलायम की  राजनीति  ,मायावती की राजनीति आज  के समय जिस तरह से चल रही है उससे मै काफी चिंतित हूँ की हमारा समाज किस दिशा की ओर जा रहा है। आज के राजनीतिक लोग जातिवाद नामक नासूर को डंडे की जोर से दूर करना चाहते है। उनकी हरकतों को देख कर ऐसा लगता है की वे सवर्णो को अस्पृस्य बना दे और जो सस्पृश्य (सवर्ण) . यह चक्र चलता रहेगा ,शोषक -शोषित , शोषित -शोषक। सवर्ण लोग अवर्ण लोगोँ का शोषण करे और पुनः कभी अवर्ण लोग  तथाकथित सवर्ण लोगो का। यह पागलपन बंद होना चाहिए। शोषक और शोषित पशु समाज में भला लगता है, मानव समाज में नहीं। 
 मै आपलोगो के सामने एक परिभाषा को परिभाषित करना चाहता हूँ जिसे आप समझने की कोशिश करेंगे -ब्राह्मण शब्द का संधी  विच्छेद होता है -ब्रह्म +अण अर्थात जिसमे ब्रह्म आ गया हो , यानि परमात्मा उत्तर आया  हो ,वह है ब्राह्मण। मेरा मानना है की किसी भी वर्ण में जन्म लेकर व्यक्ति ब्राह्मणत्व को प्राप्त कर सकता है। सनातन धर्म मानवमात्र के लिए ब्रह्मणत्व  प्राप्ति  का लक्ष्य रखता है। सताने की प्रवृति पशुत्व की है , जातिवाद से ग्रषित नेताओ से मेरा विनम्र निवेदन रहेगा की समाज को बाटने से ऊपर उठो और  ब्राह्मणत्व को प्राप्त करो। जो  ब्राह्मणत्व से पिछड़ा है , बुद्धि और भाव से , चरित्र और चिंतन से शूद्रत्व को प्राप्त है , वह भी अछूत नहीं है , वह भी तुम्हारा भाई है ,उसे भी ब्रह्मणत्व प्राप्ति की प्रेरणा दो।  मै  कुंठित राजनीतज्ञो से प्रार्थना करता हूँ की आप भी ब्रह्मणत्व को प्राप्त कीजिये। 
                                                           चैतन्य श्री 


              

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