chaitanya shreeभाजपा के लिए एक राजनीतिक विश्लेषण
मै मानता हूँ की दिल्ली चुनाव भाजपा का गर्वहरण किया ,यह कहना अनुचित ना होगा।लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व विजय के पश्चात , भाजपा ने , विधानसभा चुनावो के भाजपा प्रत्याशी भी अभूतपूर्व संख्या में जीते थे ,लेकिन अगर जनता किसी दल को पाठ पढ़ाने की सोच ले ,तो उसके लिए ऐसा करना बाये हाथ का खेल है जिसका अनुभव हमें दिल्ली चुनाव में हो चूका है। मित्रो मै कुछ बिन्दुओ पर आप लोगो का ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा।
क्या हमलोगो का , हमारा धेय्य एवं सिद्धांत सब की धज्जिया उड़ा कर किसी भी प्रकार चुनाव जीतना उद्देश्य रह गया है ? कांग्रेससहित, आप, एनसीपी , jvm ,के अनेक लोगो को दल में लिया गया किन्तु समझदार जनता ने उन्हें भी नकार दिया। ३० -४० वर्षो से दल के लिए काम करनेवाले निष्ठावान कार्यकर्ताओ एवं पदाधिकारियों को अवसर न देकर ,चुनाव से कुछ दिन पहले आये लोगो को दल में लाकर प्रयाशी घोषित कर देना ,हमारे अंगूर खट्टे है को परिभाषित करता है। इस शैली से भाजपा में वर्षो से दल के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ता असंतुष्ट हो गए ,बाहरी नेताओ को मोदी के विजय रथ पे बैठना था और जीतना या हारना था ,क्या यही काम भाजपा के कार्यकर्ताओ के साथ नहीं हो सकता था , भाजपा को अपने कार्य कर्ताओ पर विशवास रखना होगा नहीं तो अगले चुनाव में में भाजपा की इस्थिति कांग्रेस से भी बुरी हो सकती है।
मित्रो मै आप लोगो का एक और विषय पर ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा ,आपलोगो को याद होगा २००५ में भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओ को छोड़ केवल शाइनिंग इंडिया पर ध्यान दिया था जबकि प्रत्यक्ष में परिसिथति अलग थी। दोस्तों हमें ,यानि हमारे नेताओ को कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे जिसे भाजपा अपने मेनिफेस्टो में लिखती रही है जैसे श्री राम मंदिर जिसे हम इस मुद्दे को जॉइंट पार्लियामेंट सेससँ में उठा कर पार्लियामेंट से पास करा सकते है ,धरा ३७० हटाना ,हिन्दू पंडितो को कश्मीर में पुनः बसाना ,जिसे भाजपा ने ठन्डे बस्ते में दाल दी है।
मै मानता हूँ की दिल्ली चुनाव भाजपा का गर्वहरण किया ,यह कहना अनुचित ना होगा।लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व विजय के पश्चात , भाजपा ने , विधानसभा चुनावो के भाजपा प्रत्याशी भी अभूतपूर्व संख्या में जीते थे ,लेकिन अगर जनता किसी दल को पाठ पढ़ाने की सोच ले ,तो उसके लिए ऐसा करना बाये हाथ का खेल है जिसका अनुभव हमें दिल्ली चुनाव में हो चूका है। मित्रो मै कुछ बिन्दुओ पर आप लोगो का ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा।
क्या हमलोगो का , हमारा धेय्य एवं सिद्धांत सब की धज्जिया उड़ा कर किसी भी प्रकार चुनाव जीतना उद्देश्य रह गया है ? कांग्रेससहित, आप, एनसीपी , jvm ,के अनेक लोगो को दल में लिया गया किन्तु समझदार जनता ने उन्हें भी नकार दिया। ३० -४० वर्षो से दल के लिए काम करनेवाले निष्ठावान कार्यकर्ताओ एवं पदाधिकारियों को अवसर न देकर ,चुनाव से कुछ दिन पहले आये लोगो को दल में लाकर प्रयाशी घोषित कर देना ,हमारे अंगूर खट्टे है को परिभाषित करता है। इस शैली से भाजपा में वर्षो से दल के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ता असंतुष्ट हो गए ,बाहरी नेताओ को मोदी के विजय रथ पे बैठना था और जीतना या हारना था ,क्या यही काम भाजपा के कार्यकर्ताओ के साथ नहीं हो सकता था , भाजपा को अपने कार्य कर्ताओ पर विशवास रखना होगा नहीं तो अगले चुनाव में में भाजपा की इस्थिति कांग्रेस से भी बुरी हो सकती है।
मित्रो मै आप लोगो का एक और विषय पर ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा ,आपलोगो को याद होगा २००५ में भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओ को छोड़ केवल शाइनिंग इंडिया पर ध्यान दिया था जबकि प्रत्यक्ष में परिसिथति अलग थी। दोस्तों हमें ,यानि हमारे नेताओ को कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे जिसे भाजपा अपने मेनिफेस्टो में लिखती रही है जैसे श्री राम मंदिर जिसे हम इस मुद्दे को जॉइंट पार्लियामेंट सेससँ में उठा कर पार्लियामेंट से पास करा सकते है ,धरा ३७० हटाना ,हिन्दू पंडितो को कश्मीर में पुनः बसाना ,जिसे भाजपा ने ठन्डे बस्ते में दाल दी है।
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