chaitanya shree सिंघासन (भाग ४ )
हमारी सिंघासन के प्रति राजनीतिक चाटुकारिता के पीछे हमारा ही स्वार्थ होता है . यदि हमे भारतीय राज्य प्रणाली में बदलाव लाना है , तो नागरीको को अपनी मानसिकता बदलनी होगी , छोटे -मोटे कामो के लिये राजनितिक नेताओ तथा अन्य वरिष्ठ की चमचागिरी बंद करनी होगी . विद्यालयों के कार्यक्रमों से लेकर साहित्य सम्मेलनों तक राजनैतिक नेताओ को बुलाने की जरूरत है क्या ? विकसित देशो में ऐसे कार्यक्रमों में लेखक क़वि ,वैज्ञानिक ,विषेशज्ञ अदि को बुलाकर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया जाता है . विशेषकर शिक्षा शास्त्री और प्राध्यापको को खूब सम्मान मिलता है . हम एक तरफ राजनीतिक नेताओ को भ्रस्टाचारी कह कर उनकी आलोचना करते है ,वही बार-बार उनके पास जाकर उनकी कीमत भी बढाते है .
यदि अपना काम थोडा कष्ट उठाकर हम स्वयं ही करने लगेंगे और नेताओ तथा अधिकारियो के पीचे दौड़ना बंद कर उनसे स्पष्टीकरण मांग सके ऐसा आत्मविश्वास निर्माण कर लेंगे तो यकीन मानिये पूरा नहीं तो लगभग ३० से ४० प्रतिशत भ्रष्टाचार और शोसन अवश्य कम हो जायेगा।
हमारी सिंघासन के प्रति राजनीतिक चाटुकारिता के पीछे हमारा ही स्वार्थ होता है . यदि हमे भारतीय राज्य प्रणाली में बदलाव लाना है , तो नागरीको को अपनी मानसिकता बदलनी होगी , छोटे -मोटे कामो के लिये राजनितिक नेताओ तथा अन्य वरिष्ठ की चमचागिरी बंद करनी होगी . विद्यालयों के कार्यक्रमों से लेकर साहित्य सम्मेलनों तक राजनैतिक नेताओ को बुलाने की जरूरत है क्या ? विकसित देशो में ऐसे कार्यक्रमों में लेखक क़वि ,वैज्ञानिक ,विषेशज्ञ अदि को बुलाकर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया जाता है . विशेषकर शिक्षा शास्त्री और प्राध्यापको को खूब सम्मान मिलता है . हम एक तरफ राजनीतिक नेताओ को भ्रस्टाचारी कह कर उनकी आलोचना करते है ,वही बार-बार उनके पास जाकर उनकी कीमत भी बढाते है .
यदि अपना काम थोडा कष्ट उठाकर हम स्वयं ही करने लगेंगे और नेताओ तथा अधिकारियो के पीचे दौड़ना बंद कर उनसे स्पष्टीकरण मांग सके ऐसा आत्मविश्वास निर्माण कर लेंगे तो यकीन मानिये पूरा नहीं तो लगभग ३० से ४० प्रतिशत भ्रष्टाचार और शोसन अवश्य कम हो जायेगा।
आपका चैतन्य श्री

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