Tuesday, 18 July 2017

चीन के साथ भारत का वर्त्तमान परिदृश्य पर मेरे विचार

     चीन के साथ भारत का वर्त्तमान परिदृश्य पर मेरे विचार                             
श्री नरेंद्र मोदीजी के चीन के खिलाफ हुंकार भरने के बाद मुझे भी लगा कि कुछ मै  भी हुंकार भर लू , चीन और भारत के बीच के सम्बन्धो के बारे में कुछ चर्चा कर लू , इस सम्बन्ध में मुझे ऐसा लगता है कि चीन के साथ भारत का वर्त्तमान परिदृश्य काफी खतरनाक है। चीन विश्व कि दूसरी अर्थव्यवस्था होने के अहंकार के साथ भारत और पडोसी देशो को यह दिखाने में लगा हुआ है कि अधिक ताक़त उसी के पास है , गिलिगीत और बल्ल्तिस्तान में उसके ग्यारह हजार से अधिक सैनिक तैनात है , इस क्षेत्र में चीन का दब दबा बढ़ रहा है , इन क्षेत्रो का वास्तविक नियंत्रण चीन अपने हाथो में ले रहा है ,यह क्षेत्र सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखता है , यह क्षेत्र चीन के जियान - जियांग प्रांत से जुड़ा हुआ है , जहा मुस्लिम अलगाववादी काफी सक्रीय है , पकिस्तान गिलिगीत तथा बलुचिस्तान  के लोगो में बढ़ती चीनी प्रभाव के विरोध  को नजरअंदाज कर रहा है , यह सन्देश पुराना हो रहा है कि चीन एक न एक दिन कश्मीर को विवादित क्षेत्र घोषित कर पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा कर लेगा और भारतीय कश्मीर के सर के ऊपर बैठ जायेगा भारतीय डिफेन्स स्टडीज में वर्त्तमान  परिस्थिति को काफी खतरनाक बताया गया है । 

                                   भारत को एक प्रभुत्व संपन्न राष्ट्र के रूप में अपनी प्रादेशिक अखंडता कि रक्षा के लिए , कुछ करना होगा जो केवल नरेंद्र भाई ही कर सकते है , सीमाओं  पर  कड़ाई  दुरुस्त हुआ है ,   सीमाओ का नर्म बनाने का विचार अच्छा हो सकता है , लेकिन हकीकत यह है कि जब चीन अपनी परियोजनाओ को पाक अधिकृत कश्मीर में पूरा कर लेगा तो भारत अपने आपको एक शिकंजे में फंसा हुआ पायेगा। 
                                    चीन  हर तरफ से अपना सैन्य बुनयादी ढांचा मजबूत कर रहा है , जबकि भारत बहुत छोटे -छोटे कदम उठा रहा है लेकिन दुरुस्त उठा रहा जो आगे चल कर बेहतर परिणाम देंगे।    कश्मीर के दक्षिण पूर्वी लद्दाख में दमचेक क्षेत्र के निकट ड्रैगन ने अपना निर्माण कार्य जारी रक्खा हुआ है। पूर्वी लद्दाख में विवादास्पद बिन्दुओ पर चीन ने भारत का निर्माण कार्य डरा - धमका कर रुकवा दिया था , लेकिन केंद्र कि निक्कमी कांग्रेस सरकार खामोश बैठी रही थी ,लेकिन नरेंद्र भाई के नेतृत्व ने दोकलाम में चीन का रोड बनाने से रोकना एक समर्थवान  कूटनीति का बेहतर नमूना है  , जिसे नरेद्र भाई का कुशल नेतृत्व ही कर सकता है  । २००९ में भारत ने वास्तविक नियंत्रण  रेखा के निकट सड़क निर्माण शुरू किया था ,लेकिन चीन ने उसे भी रुकवा दिया था जिसे नरेंद्र भाई ने  शुरू करवाया  ,चीन यहाँ पर हर तरह के मौसम को झेलने में सक्षम इमारते बनवा रहा है ,और सर्दी हो या गर्मी यहाँ २०० सैनिक तैनात रहते है , चीनी सैनिको ने वह लाल रंग का बैनर लगा दिया है जिस पर लिखा है कि "यह वास्तविक नियंत्रण रेखा है और आप चीनी क्षेत्र में है "स्थानीय निवासियो को ये चीनी सैनिक बार -बार धमकाते थे , लेकिन भाजपा  की   ये केंद्र  सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठी नहीं , इसका माकूल जवाब भी दे रही है और सैनिको को  खुले आम आज़ादी भी दी है। चीन एक -एक इंच लद्दाख में भी आगे बढ़ रहा था  पर नरेंद्र मोदी कि सत्ता आते ही  चीन को इस विषय पर सोचना मजबूरी हो गया । राष्ट्र की  रक्षा के लिए नरेंद्र भाई का सशक्त  नेतृत्व से  चीन की विस्तारवादी नीति पर रोक लगा है । 
                                          महबूबा मुफ़्ती का बयान कोई गलत नहीं है , भारत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह बात उठाना होगा कि अगर जम्मू कश्मीर विवादास्पद है तो तिब्बत भी और जियान -जियांग का क्षेत्र भी विवादास्पद है ,जो कि नरेंद्र मोदी का शसक्त नेतृत्व ही कर सकता है।                                                                        आपका चैतन्य श्री

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