Friday, 16 August 2013

क्या मजहब के आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिये ? ( भाग -१ )

क्या मजहब   के   आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिये ?( भाग -१ ) 
                     २७ जून , १९६१ को देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर अवगत कराया था की मजहब के आधार पर किसी भी प्रकार का आरक्षण न किया जाये।  इसी प्रकार १९३६ में पूना पैक्ट के बाद जब अंग्रेज सरकार ने अनुसूचीत जाती की पहली सूची जारी की थी तो धर्मान्तरित इसाई व्  मुसलमानों की जातिया उसमे शामिल उसमे शामिल करने की मांग उठाई गयी थी। जिसे अंग्रेज हुकूमत ने अश्वीकार कर दिया था। लेकिन मनमोहन सरकार ने सच्चर कमेटी के बाद रंगनाथ मिश्र  आयोग का गठन करके धर्मान्तरित इसाई और मुसलमानों को अनुशुचित जाती का आरक्षण करने हेतु पैरवी प्रारंभ कर दी। प्रारंभिक तौर पर राष्ट्रिये अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बूटा सिंह ने भी इसका विरोध किया किन्तु सोनिया गाँधी  की सहमती देखकर शांत हो गए।   

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