chaitanya shree सावन के आइल महिनवा हो
ए हो गावा कजरिया
निहुरी निहुर करत धान के रोपनिया
खेतवा के रजा कहु हमनी के रनिया
एहे धरतिया रतानवा हो
ऐहो गावा कजरिया
सावन ………………………….
दिन भर के थाकल -मदल घर जब जाईब
रूसल पीया के जीयारबा रीझाइब
संझिया आजौरे नयनवा हो
एहो गावा कजरिया
सावन के ..................................................
ए हो गावा कजरिया
निहुरी निहुर करत धान के रोपनिया
खेतवा के रजा कहु हमनी के रनिया
एहे धरतिया रतानवा हो
ऐहो गावा कजरिया
सावन ………………………….
दिन भर के थाकल -मदल घर जब जाईब
रूसल पीया के जीयारबा रीझाइब
संझिया आजौरे नयनवा हो
एहो गावा कजरिया
सावन के ..................................................
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