Wednesday, 19 June 2013

अब प्रकृति का क़र्ज़ चुकने की बारी है

chaitanya shree
अब प्रकृति  का क़र्ज़ चुकने की बारी है , हमें वेद  से सीख लेना चाहिये ,प्रित्त्वी  शांति  रापः शांति ...................... हमारी सोच गलत है की धरती पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों को नुक्सान पहुचाने  से उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा . उत्तराखंड  इसी का परिणाम है , दुःख की बात है सस्ते और अस्थानिये भौगोलिक विसेस्ताओ का पूरा ध्यान रखने वाले परम्परागत तौर तरीके  पर ध्यान    नहीं दिया गाया .

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