Wednesday, 6 March 2013

क्या हिन्दुओ कि हर बात सांप्रदायिक और राष्ट्र विरोधी बन जाती है?

 क्या हिन्दुओ कि हर बात सांप्रदायिक  और राष्ट्र विरोधी बन जाती है?
 राष्ट्र को आराध्य मानने वाला हिन्दू सांप्रदायिक कैसे हो सकता है, संसार के किसी देश में अस्सी  प्रतिसत की बहुमत वाली जनसँख्या को साम्प्रदयिक नहीं माना  जा सकता है . वह तो अपने आप में एक स्वस्थ एवं सबल राष्ट्र होने का सामर्थ्य रखता  है , परन्तु हमारे यहाँ ऐसा इसलिये होता है की हिन्दू संगठित न हो कर अलग-अलग पार्टियों को अपनी रुचि के अनुस्वार वोट देता है. और मुस्लिम अल्पमत संगठित होकर हिन्दू के मुकाबले एक मुस्लिम को वोट देकर सफल बनता है. मुस्लिम का  वोट किसी भी गैर मुस्लिम को वोट तभी देते है जब कोई मुस्लिम चुनाव छेत्र में नहीं रहता है. इसमें उसके वोट का महत्व है. हिन्दुओ के वोट अब तक धर्म्निर्पेच (सो कॉल्ड)पार्टियों  को ही मिलते रहे है. इसलिये इनकी वोट की कोई कीमत नहीं है. यह धर्मनिरपेक्ष पार्टिया , हिन्दुओ के वोट लेकर मुस्लिम साम्प्रदायिकता को पालती  पोषती रही है , इसलिये उनकी हर बात का महत्व होता है . और हिन्दुओ की हर बात सांप्रदायिक और राष्ट्र - विरोधी   बन जाती है।  

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